Shri Nimbark Parikar

वैष्णव चतु:सम्प्रदायों में श्री निम्बार्क सम्प्रदाय अतीव प्राचीन है। इस सम्प्रदाय के आद्य-प्रवर्तकाचार्य सुदर्शनचक्रावतार श्रीभगवन्निम्बार्काचार्य है। द्वापर के अंत में आपका आविर्भाव "दक्षिण भारत-मुंगी पैठन-गोदावरी तटवर्ती अरूणाश्रम" में हुआ। माता पिता के साथ आप बाल्यकाल में ही व्रजधाम-गोवर्धन की तलहटी में आ गए थे जहाँ आपने तप साधना की, वही स्थल "निम्बग्राम नाम" से विख्यात हुआ । सूर्यास्त होने पर भी निम्बवृक्ष में यतिरूप सृष्टिकता श्री ब्रह्मा को सूर्य-दर्शन कराके उनका आतिथ्य किया। तभी से आप श्री ब्रह्मा द्वारा "श्री निम्बार्क" नाम से सम्बोधित हुए। एवं इस नाम से ही यह सम्प्रदाय विश्व विख्यात हुआ । आप श्री की परम्परा श्रीहंस भगवान, श्री सनकादिमहर्षि एवं देवर्षि नारद से प्रारम्भ होती है। निम्बार्क सम्प्रदाय में उपासना-वृन्दावन निकुञ्जविहारी भगवान श्री राधाकृष्ण की है एवं श्री सनकादि संसेव्य श्रीसर्वेश्वर प्रभु आपके अर्चा-विग्रह जो अति सूक्ष्मशालग्राम स्वरूप हैं एवं वर्तमान में अ. भा. श्री निम्बार्कचार्य पीठ, अजमेर में विराजमान है। आपका दार्शनिक सिद्धान्त स्वाभाविक- द्वैताद्वैत है।