Sangeet Sargam
Bhajan.....Gaderi
तेरी रेहमतोका दरिया सरेआम चल रहा है
हमें ओर जिने की चाहत ना होती अगर तुम ना होते
तुम राम के पुजारी तुम बाल र्बमचारी बिनती सुनो हमारी
बिहारी तेरे नेना जादु भरे
जंदा रहुं गा मे नहीं राम के बगेर
फिरता में मारा मारा दरसन दो बंसीबाले
मुझे याद आने वाले कोई रास्ता बता दे वह दिल कहां से लाऊं
भोले तुम्हारे नाम की रटना लगाई है
बच्चे मन के सच्चे
मैया का यह रूप सुहाना लगता है भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है
ना भोले भगवान ना भोली सी मुस्कान
मेरी मैया का दरबार अजब निराला है मैनपुरी की मांशीतल देवी
जब तक रहे तन में जिया तो वादा रहा ओ साथिया
मेरी लंका जली और जिला में भी तुम मुझे यूं जला ना पाओगे
किसी को उनकी मंजिल का पता पाया नहीं जाता
बोली अंजनी माता तू होते ही मर जाता
खाली हाथ ही आया था खाली हाथ ही जाएगा
उनका ही तसब्बुर है महफिल हो या तन्हाई
महफिल में बार बार किसी पर नजर गई हमने बचाई बार बार फिर भी उधर गई
घनश्याम तुम्हे ढूंढने जाए कहां कहां
दरबार मेरा दरबारों में एक खास अहमियत रखता है
मैं ना दु जानकी मैंने बाजी लगाई जानकी
अबहु ना आयो मारो मोहना आधी रात को खनक गयो बैरी कंगना
राम जैसा नगीना नहीं सारे जग की बजरिया में
सनीचर का अभिमान सुने
मेरी मां क्या कथा हो गई है भाई को तूने बंद दे दिया है
नहीं राम नाम लीनो तूने भरी जवानी में तु डूब के मर जा रे चुल्लू भर पानी में
नगरी हो अयोध्या सी रघुकुल का घराना हो चरण हो राघवसे जहां मेरा ठिकानाहो
इस संसार से रघुवर मेरा उधर हो जाए
फरियाद लेकर आया दरबार में तुम्हारे