Ramji Yadav Archive

यदि आप अपनी लोकसंस्कृति (बिरहा, लोरिकी,आल्हा तथा अन्य प्रदर्शनकारी कलाओं तथा विविध भाषाई क्षेत्रों में ऐसी कलाओं) से प्यार करते हैं तो मैं आप से यह निवेदन करना चाहूँगा कि इसकी ऐतिहासिक भूमिका और विरासत की ओर भी देखें. ये सारी विधाएँ हमारे सामाजिक जीवन के राग-विराग और चेतना की वाहक रही हैं और इनमें हजारों लोगों ने योगदान किया है. दुर्भाग्य से इन विधाओं पर विस्तृत लेखन नहीं है. पुरानी पीढ़ियों के लोग प्रायः दुनिया को अलविदा कह चुके हैं और उनके कुछेक किस्से ही स्मृति में बचे हैं.
एक से एक महान और धुरंधर गवैये और कलाकार रहे हैं जिन्होंने अपना श्रेष्ठ योगदान दिया और परिदृश्य से गायब हो गए. इस तरह से बहुजन समाज की महान विरासत बिखरकर रह गई है. पिछड़ों के पिछड़े रह जाने का एक पहलू यह भी है कि उन्होंने अपने इतिहास और विरासत की कद्र नहीं की.
हम यह कोशिश कर रहे हैं कि इस विरासत को सँजोया जा सके. इसके लिए हम दूर-दराज के इलाकों में जा रहे हैं और सभी जीवित कलाकारों की जीवन कथा को रिकॉर्ड कर रहे हैं. इसके साथ ही दिवंगत और गुमनाम कलाकारों के बारे में भी मौखिक और भौतिक साक्ष्य इकट्ठा कर रहे हैं.