Maharshi Mehi Hriday

महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज का अवतरण 28 अप्रैल , सन् 1885 ई० को बिहार मधेपुरा जिले के खोखशी श्याम ग्राम में हुआ था। जन्म से ही सर पर सात जटायें थीं। लोग समझ गये कि लगता है किन्हीं योगी - महात्मा का जन्म हुआ है।

आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत में रहते हुए 1909 ई० में बाबा देवी साहब जैसे गुरु और उनके द्वारा निर्दिष्ट दृष्टियोग की क्रिया जानकर धन्य हुए।

सन् 1912 ई ० में बाबा देवी साहब ने स्वेच्छा से इन्हें शब्दयोग की विधि बतलाई। सन् 1933-34 ई० में इन्होंने 18 महीने तक भागलपुर में गंगा - तट पर अवस्थित कुप्पाघाट की गुफा में शब्दयोग की गंभीर साधना की , फलस्वरूप ये आत्मसाक्षात्कार करने में सफल हो गये।

अध्यात्म - गगन के यह महान् सूर्य भी 8 जून , सन् 1986 ई० , रविवार को अपने जीवन के 101 वर्ष पूरे करके हमारी आँखों से ओझल हो ब्रह्मलीन हो गये।

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