MUKESH GUNIWAL - MAHIR

बात बस इतनी सी है की हम यहाँ उल्टियाँ करते हैं।

कविताएँ, कहानियाँ, गजलें, नज्में और किस्से, ज्यादा कुछ नहीं, बस उल्टियाँ ही हैं। भावनाओं की उल्टियाँ, जो ज़हन करता है, मुँह से नहीं हाथो से। कलम की स्याहीदार उल्टियाँ।

मुकेश गुनीवाल "माहिर" Insta- bolte_pannne Twitter- @MUKESHGUNIWAL