RUHANI BHAKTI MUKTI

कोई कहता है सगुण भक्ति श्रेष्ठ है, कोई कहता है निर्गुण भक्ति श्रेष्ठ, कोई कहता है योग श्रेष्ठ, कोई कहता है ज्ञान श्रेष्ठ, कोई कहता है मौखिक जप श्रेष्ठ है, कोई कहता है मानसिक जप श्रेष्ठ है, कोई कहता है ध्यान श्रेष्ठ है ,कोई कहता है ध्यान रहित होना ही श्रेष्ठ है |
कह रहा हूं ,
निष्ठा और लगन श्रेष्ठ है ,मन में लग्न हो भक्ति सघन हो, खुद मिल जायेंगे
प्रकृति का शाश्वत सत्य नियम है कि पात्र कभी खाली नहीं रह सकता, तथा कुपात्र को कभी भरा नहीं था सकता ।
सत्य,परमात्मा,सतपुरुष, ब्रह्म, परात्पर ब्रह्म, केवल भक्ति, केवल ज्ञान, सम्बोधि, शून्य, अद्वैत, सगुण,निर्गुण, ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म, रूहानियत,, ये सब कुछ एक होते हुए भी मत सम्प्रदायों के भ्रामक प्रचार के कारण कैसे ऊंची- नीची बातों का उलझाव हो गया, उसी भेद बुद्धि को निर्मल करने का, एक गिलहरी की तरह रामसेतु बनाने का प्रयास है, आइये और महसूस कीजिये
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