Pawan Kumar Sharma हे शिव आप मेरे गुरु हैं

उद्देश्य- वरेण्य गुरूभ्रता साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी एवं शक्ति स्वरूपा दीदी नीलम आनंद जी का संदेश जन- जन तक पहुँचे । भगवान शिव, जो चिरकाल से सर्वोच्च गुरु के पद पर आसीन हैं, उनकी शिष्यता की धारा जन मानस में सभी शिव शिष्य/शिष्याओं के सहयोग से प्रवाहित हो रही है। यह प्रवाह अक्षुण रहे,सचमुच संप्रवाह हो जाय इसी संकल्प के सहारे आगे बढ़ना है। यह स्मरण रखना है कि शिव की शिष्यता में शिव गुरु हैं, कोई शिष्य गुरु नहीं है। शिव ही हमारे गंतव्य हैं, हमारी गति हैं और हमारे गुरु हैं।आओ, चलें शिव की ओर... हमारे जीवन में हमेशा मंगल प्रभात लेकर आये। व्यक्ति शिव की ओर चले।जीवन का पल-प्रतिपल शिवमय हो, सुवासित हो और सम्पूर्ण मानव खुशियों के फूल से सुगंधित हो जाय।हम प्रकृति के पोषक बनें, संग चलें एवं प्रदूषण के विरुद्ध जंग का आगाज करें। प्राणी-मात्र की सुरक्षा और सेवा हमारा संकल्प हो। पेड़ों को अपना परिवार समझने की मानसिकता में मानवता के कल्याण के लिए सभी को आगे आना होगा, जल एवं जंगल को बचाना होगा; इस दिशा में जन-जागरण करना होगा। भगवान शिव की शिष्यता हमारी आधारशिला हो-यही कामना सभी के लिए सम्प्रेषित है।