Bharat se Aaryavart
आर्य निर्माण का व्यवस्थित कार्यक्रम ही हमारे जीवन के अन्तिम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करवा सकता है।
इसलिए सभी आर्य मनुष्यों को संगठन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए आगे बढ़ते रहना है।
जय आर्य
जय आर्यावर्त।
ईश्वर भक्ति का आनंदमय भजन। आर्य संदीप भजनोपदेशक।
द्वितीय समुल्लास: संतानों की शिक्षा व्यवस्था कैसे हो। आचार्य परमदेव जी द्वारा व्याख्या।
आर्यों हम जितना बड़ा त्याग करते हैं उतना ही हमें सुख मिलेगा।कैसे थी आर्यों की वर्ण व्यवस्था।
आर्यों हमें विद्या ग्रहण करनी ही होगी।वेद विद्या ही हमें संगठित रखेगी।संगठन ही विजय प्राप्त करता है
प्रथम समुल्लास भाग् 4 सत्यार्थ प्रकाश आचार्य परमदेव जी द्वारा व्याख्या
वैदिक संध्या।
सिद्धांत शाश्वत हैं। आज भी हैं। पहले भी थे। आगे भी होंगे। जय आर्य जय आर्यावर्त जय आर्य महासंघ।
प्रथम समुल्लास -भाग 3 ब्रह्मा विष्णु रुद्र ईश्वर के नाम कैसे आचार्य परमदेव जी द्वारा व्याख्या |
मनुष्य किसे कहते हैं। परिभाषा क्या है। आर्य महासंघ की शरण में आ जाओ।
स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाशः प्रत्यक्षादि 8 प्रमाण व्याख्या आचार्य परमदेव जी द्वारा भाग -3 ।
संतानों की शिक्षा व्यवस्था कैसे करनी है।सत्यार्थ प्रकाश द्वितीय सम्मुलास ।
स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाशः व्याख्या भाग- 1 आदरणीय श्रद्धेय आचार्य परमदेव जी द्वारा व्याख्या।
महाराजा भर्तृहरि नीति शतक श्लोक स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाशः व्याख्या आचार्य परमदेव जी द्वारा।
स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाशः सत्यार्थ प्रकाश।अधर्मात्मा बलवान सनाथ चाहे राजा भी हो। आर्य उसका नाश करें
संतानों की शिक्षा कैसे हो। द्वितीय समुल्लास सत्यार्थ प्रकाश आचार्य परमदेव जी द्वारा व्याख्या।
ब्रह्मचर्य का पालन करने से कितना लाभ श्रद्धेय आचार्य परमदेव जी द्वारा सत्यार्थ प्रकाश की व्याख्या
सत्यार्थ प्रकाश प्रथम समुल्लास गणपति नाम से व्याख्या 3
सत्यार्थ प्रकाश में स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाशः 4 जीव व्याख्या आचार्य परमदेव जी द्वारा।
सत्यार्थ प्रकाश बंध -मोक्ष मार्ग
भजन।चमक रहे जगत 2 प्यारे नाम।
प्रथम समुल्लास भाग -2 आचार्य परमदेव जी द्वारा व्याख्या।
सत्यार्थ प्रकाश की व्याख्या -4
सत्यार्थ प्रकाश भाग=3 हे आचार्य श्री हम सभी आर्य आपके ऋणी रहेंगें।
सत्यार्थ प्रकाश की व्याख्या भाग=2
आर्य महासंघ ही इस महान राष्ट्र को पुनः आर्यावर्त बनाएगा।
हम आर्य श्री रामचंद्र जी और योगेश्वर श्रीकृष्ण के वंशज हैं ।हम किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानते।
क्या है स्वतंत्रता क्या है क्रांति जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने अपना जीवन राष्ट्र के लिए त्याग दिया।
आर्य निर्मात्री सभा के आचार्य संजीव जी का आर्यों को शास्त्र और शस्त्र का उपदेश।
श्रद्धेय आचार्य जितेन्द्र जी आर्यों को धर्म का ज्ञान देते हुए। आर्य निर्माण ही राष्ट्र निर्माण है।
आर्य+आर्य परिवार की रक्षा आर्य समाज बनने से होगी आर्य समाज की रक्षा आर्य राष्ट्र से ।