युवा चारित्रिक उत्थान शिविर
श्रीमद्भगवत गीता और योग के द्वारा युवाओं में आध्यात्मिक नैतिक और चारित्रिक उत्थान हेतु प्रयास में आपका स्वागत है । कृपया चैनल को देखें, सब्सक्राइब लाइक करे
आसुरी प्रवृत्ति लोग हमेशा भ्रमित रहते है।मोह जाल में फंसे रहते हैं।भोग में लिप्त रहते है।गीता 16/16
हिन्दू सम्मेलन में स्वामी महेश्वरानंद -श्यामनगर, कैम्प 2,भिलाईनगर में 14.12.25 को
भिलाई कैम्प में सत्संग करते एवं प्रसाद ग्रहण करते भक्तजन
हिन्दू सम्मेलन में विद्यार्थियों द्वारा नृत्य श्यामनगर,कैम्प 2,भिलाईनगर में 1412.25 को
गीता 16/15 आसुरी लोग सोचते है कि मै ही सबसे धनी हूं,गुणी हूं,नाचने वाली को वेश्याओं को धन देते हैं।
ये लोग भोगी होते हैं।विवेकहीन स्पर्धाओं में फंसे रहते हैं।बाधा डालने वाले को मरवा देतेहैं-गीता16/14
आसुरी लोग सोचते है कि आज इतना धन प्राप्त हो गया कल इससे दुगुना प्राप्त करूंगा - गीता 16/13
गीता 16/12 आसुरी लोग दान नहीं करते।कामना पूर्ति के लिए धन संचय करते हैं।आशारूपी पाश में बंधे रहतेहैं
शिवानन्दआश्रम कैम्प 1 शांतिपारा भिलाईनगर में गीतापाठ,विष्णु सहस्रनाम पारायण स्व.शेषराव की स्मृति में
गीता 16/11 इनके लिए कामना की पूर्ती करना परम पुरुषार्थ है और इसी चिंता में डूबे रहते हैं ।
गीता 16/10 असुर लोगों का भोग करना ही धर्म है,मोह के कारण असत विषयों को ग्रहण कर जगत का नाश करते हैं।
गीता 16/8 -असुर लोग ईश्वर से जगत उत्पन्न हुआ है ऐसा नहीं मानते है और जगत को ही सत्य मानते है
गीता 16/7 -असुर लोग शौच को नहीं जानते और धर्म को अधर्म कहते हैं ।आत्मा के प्रतिकूल व्यवहार करते है।
गीता 16/22 तम का द्वार दुःख और अंधकार का नरक है ।
शिवानन्द आश्रम ऋषिकेश के भजन हाल के प्रारम्भ की स्मृति में नंदिनीनगर में 12 घंटे का महामंत्र काआयोजन
गीता जयंती के उपलक्ष्य में हवन और शिव अभिषेक शिवानन्द जागृति आश्रम M काटापाली ओडिशा में
गीता 16/21 काम,क्रोध और लोभ ये तीन नरक के द्वार है।
गीता 16/24 मनुष्यों को क्या करना और क्या नहीं करना।इसके लिए शास्त्र प्रमाण है। दैवीय संपदा को अपनाना
गीता 16/23-जो मनुष्य शास्त्रों का पालन नहीं कर मनमाना व्यवहार करता है।वह न सुख पाता है और न मोक्ष.
गीता 16/6 -पहले आसुरी सम्पदा को पहचानो फिर उन्हें दूर करने का प्रयास करो
गीता 16/5 - 20 दैवीय संपदा संसार बंधन से मोक्ष प्रदान करने वाले हैं
गीता 16/4 -धर्म का ढोंग करना, अभिमान करना आदि 6 आसुरी प्रवृत्ति को त्यागना होगा
गीता 16/3- आंतरिक शौच दूर करने के लिए निष्काम सेवा करनी चाहिए़
गीता 16/2 - कामनाओं को त्याग करने से मोक्ष मिलेगा
युवा चारित्रिक उत्थान शिविर चीखिलापली जिला झारसुगरा ओडिशा में
Deviki Devi girls High School Panchgaon Odisha में युवा चारित्रिक उत्थान शिविर -स्वामी महेश्वरानंद
परसदा जिला झारसुगुड़ा ओडिशा में युवा चारित्रिक उत्थान शिविर 15.11.25 को सम्पन्न-स्वामी महेश्वरानंद
ीता 16/1 -ईश्वर के प्रति शरणागत होने से भय नहीं होगा - श्रीकृष्ण
गुनातीत में कोई इच्छा नहीं होती। निर्लिप्त होकर असंग होकर रहता है - गीता 14वा अध्याय 22वा श्लोक
देह की उत्पत्ति का कारण अपना गुण होता है । गुणातीत पूर्णतः अंतर्मुखी होता है-गीता 14 वा अध्याय20,21