कृषि संस्कृति

मैं विनोद कुमार सचान
खेती जीवन का आधार है, खेती का मकसद शुद्ध भोजन, पानी एवं हवा की प्राप्ति से है।। आज हमारे भोजन, पानी, हवा में प्रदूषण है।
क्योंकि आज खेती का मकसद रुपया है जीवन नहीं। दरसल खेती का विषय सत्य, सनातन, धर्म से जुड़ा है, खेती दर्शन एवं अध्यात्म का विषय है।
भूमि की उर्वरता को लूट कर, भगर्भ जल का दोहन करके, जंगलों को काटकर एवं जैव विविधता को नष्ट करके मनुष्य आखिर कैसे खुश रह सकता है।अतः मैं प्रकृति के संरक्षण की बात करता हूँ जो निस्वार्थ होकर पूर्ण हो सकता है।

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