कृषि संस्कृति
मैं विनोद कुमार सचान
खेती जीवन का आधार है, खेती का मकसद शुद्ध भोजन, पानी एवं हवा की प्राप्ति से है।। आज हमारे भोजन, पानी, हवा में प्रदूषण है।
क्योंकि आज खेती का मकसद रुपया है जीवन नहीं। दरसल खेती का विषय सत्य, सनातन, धर्म से जुड़ा है, खेती दर्शन एवं अध्यात्म का विषय है।
भूमि की उर्वरता को लूट कर, भगर्भ जल का दोहन करके, जंगलों को काटकर एवं जैव विविधता को नष्ट करके मनुष्य आखिर कैसे खुश रह सकता है।अतः मैं प्रकृति के संरक्षण की बात करता हूँ जो निस्वार्थ होकर पूर्ण हो सकता है।
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खेती का सत्य ही दिलाएगा कर्ज से मुक्ति।
आधुनिक कृषि की प्रत्येक समस्या का समाधान है जंगल का "जीवामृत"
जीवामृत बनाने एवं उपयोग करने का सबसे सही तरीका यही है
इस वीडियो को ध्यान से सुने समझें और अगर सही लगे तो इसे दूसरों तक पहुंचाने का प्रयास अवश्य करें।
"प्राकृतिक खेती" प्रकृति की व्यवस्था को पवित्र भाव से देखना ही दर्शन है
खेती में कोई रसायनिक निवेश नहीं लगेगा, यदि पूरी बात ध्यान से समझ लेंगे तो।
यहां एक रुपए का रसायन नहीं प्रयोग किया जाता, और उपज में कमी नहीं है।
कीट एवं बीमारियों की समस्या नहीं आएंगी, केवल इतना समझ लें बस
किसान झूठ सुनना बंद कर देगा तो खेती की समस्याएं खत्म हो जाएंगी, क्या है सत्य जाने
आधुनिक कृषि तकनीकी किसान को कर्ज में डुबोती जा रही है जीवामृत है समाधान
खेती भगवान की पूजा है अच्छा चढ़ावा अच्छे भाव से देंगे तो प्रसाद अच्छा मिलेगा
समझ गए तो धनाढ्य अन्यथा बने रहेंगे कर्जदार
खेती का सत्य सिस्टम नहीं समझने देगा, और आप समझने को तैयार नहीं तो कैसे चलेगा काम ?
भूमि उर्वर होगी तो कृषि निवेशों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और खेती लाभकारी होगी
कीटनाशकों, फफूंद नाशकों, एसिड, जाइमं, इंजाइम, ग्रोथ प्रमोटर सबकी छुट्टी
फसल की हर समस्या का समाधान "कार्बन, जीवाणु एवं जैव विविधता" में है
जीवामृत क्या ? कैसे ? क्यों ? रसायनों से बचने का एक मात्र विकल्प।
आपकी खुशियों का विषय है, अच्छा लगें तो अपने मित्रों को भी भेजें,
भूमि को उर्वर बनाएं फसल कोई भी हो पैदावार भरपूर मिलेगी
भूमि स्वस्थ्य है, एवं जैव विविधता मजबूत है तो स्वास्थ्य एवं भरपूर उत्पादन मिलना तय है।
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