Sat Sang
जय श्री कृष्णा राधे राधे आप सभी का Sat Sang यूट्यूब चैनल
पर दिल से स्वागत है। आप सभी इस चैनल पर परम पूज्य प्रेमानंद जी
महाराज के दिव्य कथाओं का आनंद लेंगे।
Sat Sang चैनल प्रेमानन्द जी के ज्ञानपूर्ण वचनों को संसार
तक पहुँचाने का एक छोटा सा प्रयास है। हमारा उद्देश्य है कि अधिक से
अधिक लोग उनकी शिक्षाओं से लाभान्वित हों और आध्यात्मिक मार्ग
पर आगे बढ़ें।
इस चैनल पर उपलब्ध सभी प्रवचन प्रेमानन्द जी की अमूल्य धरोहर हैं।
हम केवल उनके विचारों और ज्ञान को साझा करने का माध्यम हैं।
आशा है कि आप सभी इस कार्य में सहयोग देंगे और आध्यात्मिक ज्ञान
का आनंद लेंगे।
धन्यवाद, जय सतगुरु देव !
संत-महात्मा पूरा जीवन लगा कर भगवान को प्राप्त करते हैं तो हमेंभगवान कैसे मिलेंगे?
-आत्मा-परमात्मा एक ही हैं, तो इसश्लोक में आत्मा को विमूढ़ क्योंकहा गया है?
दोष- दर्शन नहीं करना चाहते हैं, परफिर भी दोष - दर्शन हो जाता है।
गलत चीज़ जानते हुए भी मन बार-बार वही करने का प्रयास करता है।
क्या चौरासी लाख योनियों के भोगके बाद ही मनुष्य - जन्म मिलता है?
अगर कोई खुद को जान ले तो क्या भगवान को जानना शेष रह जाताहै?
मन भक्ति और माया के बीचडोलता रहता है।
अपने में कोई योग्यता नज़र नहीं आरही - तो भगवान कैसे मिलेंगे?
पता नहीं, पर भक्ति आगे बढ़ हीनहीं रही - क्या करूँ?
पिछले जन्म के पाप इस शरीर में क्यों भोगने पड़ते हैं और परमात्मा हमें गलत करनेसे क्यों नहीं रोकते?
जीवन की प्रतिकूलताओं के बीचनिरंतर भजन कैसे होगा?
“आख़िर वो सच्चा आत्मविश्वास कैसे जगता है, जो ज़िंदगी ही बदल दे?”
जब आपने 13 वर्ष में घरछोड़ा था तो कष्टों कोकैसे सहा आपने ?
जब भी मौन रहने का प्रयत्न करता हूँ, तो मन क्यों और अधिक परेशान करता है?
संसार में रहते हुए भक्ति कादिखावा न हो - इसके लिए क्याकरें?
क्या नाम जप से ब्रह्मज्ञान कीअनुभूति भी संभव है?
जानते हुए भी कि नाम-जप सार है,मन अन्य कार्यों में लग जाता है।नाम-जप निरंतर नहीं हो पाता।
क्या भजन और नाम-जप से तंत्र-बाधाओं से मुक्ति मिल सकती है?
धन, सम्मान और अधिकार मिलनेपर प्रायः मनुष्य का व्यवहार क्योंबदल जाता है?
अज्ञान में पहले बहुतशास्त्र-विरुद्ध आचरण हुए- अब मन दुखी रहता है।
कितना ही संभलकर चलूँ, पर कोईन कोई पाप हो ही जाता है - क्याकरूँ?
बच्चों की गलती पर क्रोधआ जाता है, क्या यह कर्मबन जाएगा?
मेरा मन पूरा समय पैसेकमाने और नौकरी केविषय में सोचता रहता है।
अगर आपसे सच्चा इश्क होजाए, तो क्या हम जीवन-मुक्त हो जाएँगे?
बहुत प्रयास करता हूँ कि नित्यनामजप-भजन करूँ,पर हो नहीं पारहा।
एक करोड़ नाम जप से शरीर निष्पाप हो जाता है पर एक साथ इतना नामजपकैसे करें ?
कौन सी चीज है जिसके पीछे इंसान जन्म से मृत्यु तक दौड़ता रहता है?
“जिन्हें मुस्कुराने की वजह देता हूँ, वही जब दर्द देते हैं… तो बहुत तकलीफ़ होती है ”
. “हम हमेशा सुनते आए — ‘हम शरीर नहीं हैं’… फिर भी ये सत्य अब तक अनुभव क्यों नहीं हुआ?”
“कुंडलिनी जागरण के उस अद्भुत अनुभव में आपने क्या देखा, क्या महसूस किया?”