Gyan Satsang Sarita

ज्ञान सत्‍संग की सरिता में आपका स्‍वागत है। चंबल के किनारे बसे गांव से शुरू हुई जीवन यात्रा, नर्मदा, गंगा के तट से होती हुई, टेम्‍स किनारे बसे लंदन, फ्रांस की राइन और यमुना होते हुए अब गोमती के तट पर कुछ धीमी पड़ी है। इस यात्रा में रामचरित मानस जीवन का केंद्र बनी रही। 
 
शिक्षा के बाद तरुणाई एक स्‍वयंसेवी संगठन को आकार देने में लगी, तब से अब तक प्रशासनिक सेवा में जनता जनार्दन की सेवा का अवसर मिला। इस दौरान हिमालय के सिद्ध योगियों से लेकर सुदूर दक्षिण के अवधूतों की कृपादृष्टि हुई। 

जब छोटा था तब पितामह ने मेरी नन्‍ही उंगली बाबा तुलसी की इस पोथी के पन्‍नों के बीच रख अपनी आध्‍यात्मिक संपदा की विरासत सौंपी थी। इस दौरान साथी, मित्र, सुहृद और परिजन आग्रह कर चुके कि मैं राम चरित मानस पर कुछ लिखूं। हालांकि, अब तक राम चरित मानस पर काफी कुछ लिखा और कहा है लेकिन संकलित नहीं कर पाया।अब फिर सुझाव मिला कि आधुनिक कथामंच यूट्यूब के जरिए इसे जन मन के समक्ष प्रस्‍तुत करूं। ज्ञान सत्‍संग सरिता में होंगी राम चरित मानस की बातें, सिद्धों योगियों के अनुभव और चंबल घाटी की अद्भुत यादें। - इंदल सिंह भदौरिया