Shiv Sadhna - Jayshree Tiwari
भारत की संस्कृति और सभ्यता, आध्यात्मिक स्तुति , स्तोत्र का प्रचार, प्रसार ही मेरे जीवन का उद्देश्य है ।लेखन के द्वारा समाज में चेतना फैलाना और हमारी संस्कृति के प्रति लोगों को जागरूक करना यही लक्ष्य है । वैसे भी यह मेरा पुनर्जन्म है ।मैं तो 25 साल पहले ही आखरी अवस्था में थी ।किताब लिखी है " मृत्यु शैय्या से समाज सेवा तक " ।
"कर्ज है मुझ पर देश का वह मुझे चुकाना है ।
भारत के संस्कार और संस्कृति को मरकर भी बचाना है ।
मरते तो सभी हैं ,पर मुझे मरने के बाद भी नाम अमर करके जाना है ।
रोम रोम और श्वास श्वास में राम को भरकर,
हर मरते हुए को जिलाना है ।'
परिचय -- लेखिका , गायिका , समाज सेविका, नारी रत्न सम्मान, महिला पंडित ,अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड , नेचरोपैथी और योगा सम्मान सहित ,400 से अधिक सम्मान से सम्मानित ।
अमरकंटक यात्रा -- अविस्मरणीय यात्रा
परशुराम जी की आरती
छूम छूम छननन बाजे
जय जय हो प्रभु राम की
अमरकंटक यात्रा
नर्मदाष्टक-- अमरकंटक
पचरंगा पचरंगा मेरी माई
अंगना पधारो महारानी
श्री राम जी हमारे
भवानी उतरी बाग में रे
सब सखी देखन
उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर
रेवा म्हारी माय
नर्मदा अष्टक
हमारे मन सुगना हो रहे ओ मां
जन जन की प्यास
देवी जस -- सुगना चले आधी रात
थारा लुल लुल लांगा पांव नर्मदा
मैंने तुम्हरे भरोसे रेवा माई
ऊं जय जगदानंदी
रेवा तेरे चरणों की
सबिंदु सिंधु -- नर्मदाष्टक
नमामीश मीशान निर्वाण
हर कंकर कंकर शंकर है
नर्मदा जी का भजन
तीन बाण के धारी
आओ भोलेनाथ
धानी चुनरिया ओढके निकली
तीन ध्वजा तीनो लोक से
देओ दर्शन देवी शारदा ओ मां