Sanatan Vachan
वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये 'सनातन धर्म' नाम मिलता है। 'सनातन' का अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म मूलतः भारतीय धर्म है, जो किसी समय पूरे बृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) तक व्याप्त रहा है।
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सच्चे प्रेम में छल और कपट का कोई स्थान नहीं | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj | Sanatan Vachan |
बेकार की बातों में मत उलझो | Avdheshanand Giri Ji Maharaj | Sanatan Vachan
एक बार ठाकुर जी को देख लो… फिर कुछ और देखने का मन नहीं करेगा | Indresh Upadhyay ji | Sanatan Vachan
कौन है जो प्रभु को सबसे प्रिय है ? | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj | Sanatan Vachan |
मनुष्यों की मूल पूँजी क्या है ? | Avdheshanand Giri Ji Maharaj | Sanatan Vachan
जगन्नाथ भगवान को खिचड़ी का प्रसाद क्यों चढ़ाया जाता है ? | Sankat Mochan Sarkar | Sanatan Vachan
हरे कृष्ण हरे कृष्ण | Hare Krishna Hare | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj | Bhajan | Sanatan Vachan |
जब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपना सब कुछ दे दिया | Avdheshanand Giri Ji Maharaj | Sanatan Vachan
सीता राम हनुमान | Sita Ram Hanuman | Indresh Upadhyay ji ke Bhajan | Sanatan Vachan
जितनी श्रद्धा… उतनी ही गुरु कृपा | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj | Sanatan Vachan |
तेरे द्वार खड़ा भगवान | Avdheshanand Giri Ji Maharaj | Sanatan Vachan | Bhajan
भगवान के अलावा कोई भविष्य नहीं देख सकता | Sankat Mochan Sarkar | Sanatan Vachan
भगवान किस रूप में मिल जाएं, यह कोई नहीं जानता | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj | Sanatan Vachan |
अच्छे भाव रखो, भगवान साथ देंगे | Avdheshanand Giri Ji Maharaj | Sanatan Vachan
श्याम हृदय कमल सो प्रकट्यो | Indresh Upadhyay ji Bhajan | Sanatan Vachan
हम सब भक्ति में ही तो लगे हुए हैं | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj | Sanatan Vachan |
जब अमृत की रक्षा के लिए भगवान ने लिया मोहिनी अवतार | Avdheshanand Giri Ji Maharaj | Sanatan Vachan
क्या सोचता रे पागल मनवा | Sankat Mochan Sarkar | Sanatan Vachan | Bhajan
जीवन में श्रद्धा बड़ी हो तो गुरु कृपा भी होती है | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj | Sanatan Vachan |
जब समुद्र मंथन से निकली वारुणी नाम की मदिरा | Avdheshanand Giri Ji Maharaj | Sanatan Vachan
जब ब्रह्माजी ने चुराया श्रीकृष्ण के सखाओ को | Indresh Upadhyay ji | Sanatan Vachan
आज -कल विद्यालयों में जो मिलता है वो विद्या नहीं, सिर्फ़ जानकारी है | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj
देवताओं की रक्षा हेतु भगवान ने कितने अवतार लिए ? | Avdheshanand Giri Ji Maharaj |
पराई स्त्री पर गलत विचार मत रखो | Sankat Mochan Sarkar | Sanatan Vachan
मन और शरीर को स्वस्थ रखने का सबसे सरल मंत्र | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj | Sanatan Vachan |
कुछ समस्याएं इतनी बड़ी होती नहीं उनको बड़ा कर देते हैं | Avdheshanand Giri Ji Maharaj |
जब भगवान कृष्ण ने किया अघासुर वध | Indresh Upadhyay ji | Sanatan Vachan
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोबिंद | Sadhvi Krishnanand Ji Maharaj | Sanatan Vachan |
जब समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई | Avdheshanand Giri Ji Maharaj | Sanatan Vachan
जिसकी लागी रे लगन भगवान में | Sankat Mochan Sarkar | Bhajan |Sanatan Vachan |