Guru Ravidassiya Samaj

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गुरु रविदास ने एक ऐसे समतावादी (egalitarian) समाज की कल्पना की थी, जो जातिवाद, छुआछूत और ऊँच-नीच के भेद से मुक्त हो। उन्होंने अपनी वाणी के माध्यम से मानवतावादी चेतना का विकास किया।
उनका आदर्श समाज 'बेगमपुरा' कहलाता था, जिसका अर्थ है 'दुखों से रहित शहर', जहाँ किसी प्रकार का भेदभाव न हो।
उन्होंने कर्म को जाति से अधिक महत्व दिया और श्रम को पूजा माना।
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उन्होंने भाईचारे, एकता और सामाजिक न्याय पर आधारित व्यवस्था का समर्थन किया, जहाँ सब लोगों को अन्न मिले और कोई भूखा न रहे: "ऐसा चाहू राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न। छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहे प्रसन्न।।"