Atma So Parmatma
welcome to @atma_so_parmatma , your spiritual audiobook destination.
drive into the timeless wisdom of jain dharma through soul-stirring audiobooks and moral stories. We bring to life the stories of Teerthankaras, Acharyas and other Jain Scholars with some Incidental motivational audiobooks narrated with Depth and devotion.
whether you are a spiritual seeker, a Jain parent or someone exploring the path of inner awakening, our channel is your serene space to understand Karma, Atma, Moksh and the core values of Jainism.
# Full length Audiobook Story Every Week
# short stories everyday
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How to be eternally happy in this mortal world?
43. नाटक समयसार। कर्ता कर्म द्वार। शरीर का कर्ता मैं नहीं। शरीर मेरा कर्म नहीं। पं बनारसी दासजी
42. नाटक समयसार। कर्ता कर्म अधिकार। छंद 6,7।। जीवपुद्गल को जुदा जुदा जान।पं बनारसी दास जी
पर्याय में मूढ़ जीव मिथ्या दृष्टि है। प्रवचन सार गाथा 94 पर गुरुदेवश्री के प्रवचन से।
नौ प्रकार से वस्तु का निरूपण। गुरुदेव श्री कानजी स्वामी
40. नाटक समयसार। कर्ता कर्म अधिकार। छंद 4। पं बनारसी दास जी।
39. नाटक समयसार। कर्ता कर्म द्वार। छंद 3। पं बनारसी दास जी। @Appa_So_Paramappa @mumukshuorg3380
37. नाटक समयसार।। अजीव अधिकार।। छंद 14।। ज्ञानी जीव की स्थिति। पं बनारसी दासजी।
33. नाटक समयसार। अजीव अधिकार।। छंद 5,6,7।। अनुभव के काल की दशा। पं बनारसी दासजी। #spirituality
31. नाटक समयसार। अजीव द्वार प्रारंभ। छंद 1,2,3
30. नाटक समयसार।। जीव द्वार समापन।।छंद 34,35।।
23. नाटक समयसार। एक देखिये जानिए।जीव द्वार छंद 19,20।। पं बनारसी दास जी।
रोग के निवारण का कारण। भाई हिमांशु जैन "मुमुक्षु" की कलम से। spiritual audiobook
15. नाटक समयसार। जीव द्वार। छंद 4,5
14. नाटक समयसार। जीव अधिकार प्रारंभ। छंद 1,2,3
2. जो अरिहंत को द्रव्य गुण पर्याय से जानता वो अपने को जानता। -2
उत्तम संयम का स्वरूप।।
चैतन्य चमत्कार। एक पौराणिक जैन कहानी।
मैं कौन हूँ? Part 1।।
11. नाटक समयसार। छंद 31,32,33। उत्थानिका। संवर निर्जरा और बंध। पं बनारसीदासजी
एक जैनी की आजीविका कैसी होनी चाहिये? जीवन दर्शन 1।। श्रीमद् जी। पू गुरुदेवश्री।।
10. नाटक समयसार। पुण्य पाप् और आस्रव तत्त्व। छंद 28,29,30।। पं बनारसी दास जी।
9. नाटक समयसार।। छंद 23-27।। 6 द्रव्यों का स्वरूप अति संक्षेप में। जीव अजीव का स्वरूप।
8. नाटक समयसार।। अनुभव का गुणगान। जीव पुद्गल धर्म द्रव्य का स्वरूप। छंद 16-21
7. नाटक समयसार।। छंद 13,14,15।। पं बनारसीदास जी।
6. नाटक समयसार।। छंद 10,11,12।। उत्थानिका।। बनारसीदास जी।
5. नाटक समयसार। सम्यग्दृष्टि बनाम मिथ्यादृष्टि की परिणति। छंद 8,9। पं बनारसी दास जी।
4. नाटक समयसार।। सम्यग् दृष्टि जा लक्षण।। पं बनारसी दास जी
3. नाटक समयसार। छंद 6।। सम्यग् दृष्टि को नमस्कार।
2. नाटक समयसार। पं बनारसी दास जी। छंद 3,4,5
1. नाटक समयसार प्रारंभ।। दोहे 1,2।। मंगलाचरण।। भगवान् पार्श्वनाथ स्तुति।।