पाना सिध्द के भजन (pana siddh dholpalia)
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हंसो निकल गयो काया स्यू खाली पड़ी तस्वीर हंसो निकल गयो काया स्यू
गोरो निचोर बन्ना गी मोटी मोटी अखियाँ के बीच म सुलाई सुरमा की
चन्दन चिरा दे माता माला घड़ा दे माता मीरा गो मन भक्ति मे लाग्यो
बन्ना मेरी तारो कि चुनडी निरख जाए ऐ मेरा से बोल जाई ऐ बन्ना मेरी तारो कि चुनडी।। सुन्दर बन्ना भजन।।
थारी सड़का पर चाल रेल सगीयो चढ़ जाओ ऐ थान चढ़ता के आव जोर सगीयो चढ़ ज्यो रे
भात का भजन
म्हारा सुसरो जी पुछाला बात मन गीत शंकर नाथ ग मन्दिर म किया डट गी
रूणेचा में बाजा बाजया बेरला में बाज्या ढोल
थे कठु सु आया ओ बिनायक दुन्धाला मे पहाडा सू आया ऐ सुवागन चुड़ला री ।बिनायक भजन।।
कान्हा सामलों घर म्हारो रे, म्हारो रे गऊ आई आगे बारने तुल छागो प्यारो रे। सुन्दर भजन।।
लोग ऊपर ला लोग सुधर गया कर ले काम भलाई गो माइ बाप की सेवा कर ले मत बन दास लुगाई गो।। सुन्दर भजन।
मत कर रे गुमान बन्दा हेली गो थारी हेली तो अथ रे जासी काया गो गुलाबी रंग उड़ जासी।।
राम सवेरे उठ के सीता कार्तिक नहावे सवेरे उठ के राम जी की नगरी में गंगा भग रही सीता स्नान करा र ...
में थान्ह बोत घणा दिन ढुंढया ओ खाटू आला श्याम मंदिर में जागे ढुंढया रे खाटू आला श्याम ...
काया गी ईंटया ओ रामा जी,काया गो घारो ,कुन भरें रे चेजारो मेरी लोभन काया ,लद गयो बीण जारों ।...
में तो सोऊ तो अखियां रोई ,जब याद गुरु की आई । में तो मीन्दर गेई मन गुरु ना मिलया ....
कानुडो मेरो छोटों रे गयों रे राधा हो गई जोध जवान ,कानुडो मेरो खेलन जाव ऐ , राधा पुन ग फटकारे उठ जाए।
कृष्ण पावना रे एकर नावन गे मिस आऐ।थारह घर ना आऊं रे राधा में तो मीरा ग घर जाऊं, मीरा एकली रे...
गऊ रोएं रोएं रूधन मचाव म्हारो सांवरिया कद आसी,म्हारो सांवरिया कद आसी मान्ह गंगा ग घाट ले जासी।
तेज हवा में उड़ गी माता रानी की चुनरिया , उड़ गे चुनरिया बाखल में आगी, बेटा ग मन बाइ ..
में तो सुती थी पड़छाया में दादा भोमिया ने आऐ जगान दी,मन्ह भिक्षा गालो ऐ माई मन अगले घर पर जाना है।
भोलेनाथ डमरू बजान दे, डमरू की आवाज मन बाग़ा में सुनीजय ,आ मालन जोड़ हाथ डमरू बजान दे।
कान्हा गऊशाला में आजा रे सुन ले मेरी पुकार,जद कान्हा मेरो दुध पियो,मुठी लीन्दी बिच।...
बोल सुवा राम राम बोल रे तोता राम जी ग नाम बिना खाव लो गोता , बेटा पोता देख गे तु भुल क्यों गयो ,..
माया ऐ म तन बोत लढाई राखी बुकजह ग माई में जान्यो माया संग चल गी। माया भजन।।
सांवरिया ना चाहिए मन बेकुन्ट ,एक जन्म मनं धरती पर देईयो। सांवरिया एक जन्म मनं पानी गो देईयो।
हे म सतगुरुआ कन गेई मेरी चादर मेली होंगी ,हे तु नाम हरि गा लेले ,तेरी आपी उजली होज गी।
मेरे घर आजा बनवारी,म कुछ नहीं मागू।धोली सी एक कोठी चाहिए , बाहर आगह ओव गाड़ी में कुछ नहीं मागू।
मोसी ग महल में धरु खेलन गेयो , पिता रे धरु न लाड़ लडायो। लाड़ लडायो रे धरु न गोंद म बिठायो।
कृष्ण गोकुल में वेद्य बनयो सरकारी,पहली नब्ज मेरी सासु गी देखो,ए इगो कुछ भी नहीं इन्हें ताले गी लड़ाई