P. Shri Pramod Krishna Ji Maharaj (Akash Trivedi)
क्या रख्खा है ऐसी रिस्तेदारी में, रख लेना हमें श्याम तेरी दरबारी में
शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा
मन पंछी उड़ जईंहें जा दिन मन पंछी उड़ जईंहें
शिव नाम ओंठो पे चड़ गया रे मानो ये जीवन सम्हल गया रे
बाबुल की दुआएं लेती जा जा तुझको सुखी संसार मिले
मां बाप की सेवा करी नहीं फिर पुत्र कहाए का होई
अजब है भोलेनाथ ये दरबार तुम्हारा दरबार तुम्हारा
जादू कर गयो यशोमती को ये लाल जादू कर गयो
भोले जी तेरा कितना सुंदर नाम
प्रभु नाम में क्या बंदिश दिन रात लीजिए
महिमा अपरम्पार शंकर डमरू वाले
जहां ले चलोगे वहीं में चलूंगा
लागी लगन मत तोड़ना शिव जी मेरी लागी लगन मत तोड़ना
भोले बाबा तेरी नौकरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी
भोले से दिल क्यों लगाया है ये में जानू या वो जाने
प्रभु चाह में चाह मिलाने को भगवान की भक्ति कहते हैं
भक्ती के भरे रस में हनुमान नजर आए
मेरा भोलेनाथ मेरे साथ है मेरा शंभूनाथ मेरे साथ है
जैसो लिखो कर्म में विधना ऊसई भोगने पड़े
KALASH YATRA
सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गईं अंखियां
कृष्ण गोविंद गोपाल गाते चलो अपनी मुक्ती का साधन बनाते चलो
कन्हैया झूले पलना नैक होले झोठा दीजे
जो राधे राधे गाते हैं वो वृन्दावन जाते हैं
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको जो वन तुलसा जी को
लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा
मैंने मेंहदी रचाई रे कृष्ण नाम की
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं अब जाऊं कहाँ में साँवरिया
जुग जुग जीवे री यशोदा मैया तेरो ललना
नाचे नंदलाल नचावे हरि की मैया