समर्पण पथ

मनुष्य को परम श्रद्धेय परमात्मा के प्रति ही पूर्ण समर्पित होकर अपने जीवन को सरस तथा मधुर बनाने का पुरुषार्थ अवश्य करना चाहिए जो मनुष्य को पूर्णता की ओर भी ले जाता है और पूर्णता की अनुभूति भी कराता है।
भगवान को पूर्ण रूप से समर्पित कर देने से ही मनुष्य भगवान को प्राप्त कर सकता है.......