Purushottam सत्य विचार
भजन
धरमि नि क है सुनो मेरी बहना
लिबौआ आए गए गौने के
बुढ़ापा किसने देखा है
तेरा एक-एक सांस हीरा मोती लुटाने के काबिल नही है
सबसे बुरौ रोग कंगाली
बंधन मन विस्तारो जग में
नाम बड़ा या काम
गधे का पैड़ कहानी
स्वार्थ की प्रीती
ब्याज के धोखे मूल मत खोबै रे
मन ही जिंद है
होनी बड़ी बलवान है
कब तक रहेगी पीहर में
70 बरस की बुड़िया की चकिया
हीरा सौ जन्म गमायो
खटखट में कुछ करना है
खेती करि निज नाम की
पाखंडी दुनियाँ
राम तजूँ पर गुरु ना विसारूँ
खोलो ज्ञान की कुठरिया
हंसा निर्मल है घर जाव
अपने-अपने कर्म संभालो
राम नाम रसभीनी चदरिया
तोहि कौनें पकरियो
परिवार का ध्यान रखें
नेकी सबके साथ में करो
बिन श्रद्धा के भक्ति कैसी
परखौ काल की फांसी
मानस जन्म दुर्लभ है
देह धरे का दंड है