Amritvela Samagam

श्री सतगुरूदेव महाराज जी की असीम कृपा से ही यह अनुभव हुआ कि केवल जीवन व्यतीत करना अथवा जीवन के लक्ष्य को पाना - इन दोनों उक्तियों में महान अंतर है।
अपने जीवन को सारमय बनाना ही हमारे जीवन का वास्तविक लक्ष्य है
गुरु चरणन में वन्दना, प्रथम करूं सिर नाय।।
बिगड़ी जनम अनेक की, गुरु बिन कौन बनाय।।