Krishna Vedant
जो बातें और अनुभूतियाँ हमें एक दूसरे से साफ़ साफ़ कहना मुश्किल लगती है उन्हें संक्षिप्त में कहने के लिए मैंने कविताओं ग़ज़लें और नज़्मों का सहारा लिया है !
फिर भी इसमें बहुत कुछ अनकही रह गई है उसे न तो मैं अपनी आँखों से बहते हुए आँसुओं के ज़रिये बयान कर सकता हूँ न अपनी ख़ामोशी से न किसी और तरह से कह सकता हूँ !
17 December 2025 जवानी की कहानी, पी गई आँख का खारा पानी । स्वामी कृष्ण वेदान्त 840
16 December 2025 जितना तपाया धूप ने, उतने हम निखर गये । स्वामी कृष्ण वेदान्त 839
15 December 2025 वो बरसात जो हमने एक साथ गुज़ारी थी । स्वामी कृष्ण वेदान्त 838
15 December 2025 क्या ख़्वाब था मैं, जो भुला दिया तुमने, मेरी वफ़ा का, सिला दिया तुमने । 837
15 December 2025 जब से तू मिला मेरी तक़दीर बन गई, दिल के आइने में तस्वीर बन गई कृष्ण वेदान्त 836
15 December 2025 बुढ़ापा अब तो भारी पड़ रहा है, उम्र घट रही है बुढ़ापा बड़ रहा है ।कृष्ण वेदान्त 835
14 December 2025 इक रस्म निभाने के लिए आते हैं यहीं छोड़ के जाने के लिए आते हैं । कृष्ण वेदान्त 834
14 December 2025 भीड़ जब अंधों की हो, तो आँख वाला क्या करे ? स्वामी कृष्ण वेदान्त 833
14 December 2025 लोग उत्सव में लीन हैं कुछ रामकथा सुन रहे हैं और इधर आतंकवादी सक्रिय हैं । 832
12 December 2025 जब से तुम आये जीवन में फूल खिले तन मन में । स्वामी कृष्ण वेदान्त 831
11 December 2025 हम अपने दिल में तुम्हें बसा के । स्वामी कृष्ण वेदान्त 830
11 December 2025 ओशो के मयखाने में जाने या अनजाने में, जो भी आया डूब गया । स्वामी कृष्ण वेदान्त 829
11 December 2025 अंधेरी राह में कई चिराग़ जल गये, हम ख़ुशनसीब हैं कि हमें ओशो मिल गये । 828
8 December 2025 कौन हो तुम ? किस का ख़ुदा ढूँढ रहे हो ? खोया कहाँ है उसको ?स्वामी कृष्ण वेदान्त 827
8 December 2025 अली मौला अली अली या हुसैन या हुसैन की धुन राम कथा के बीच कोई ताल मैल नही बैठता 826
1 December 2025 इसे हिन्दू बनाइये न मुसलमाँ बनाइये, ये अजनबी है बेज़ुबाँ इसे क्या बनाइये ? 825 K.V.
1 December 2025 ये क्या गुफ़्तगू है ये क्या जुस्तजू है, ये है ख्वाबों की दुनिया कृष्ण वेदान्त 824
30 November 2025 आपातकालीन परिस्थिति है । बड़ी मुश्किल की घड़ी है इसलिए बात कहनी ही पड़ी है । 823
26 November 2025 एक और हरी भरी सुहानी पतझड़ की प्यारी सुबह और रंग बदलता हुआ ठंडी का मौसम 822
19 November 2025 मैं तुम्हारी ग़ज़ल का मिसरा तुम मेरे गीतों की रसधार । Swami Krishna Vedant 821
19 November 2025 वो ख़ुश मिज़ाज आज दे गया है बद्दुआ । Swami Krishna Vedant 820
19 November 2025 नदी किनारे चलते चलते ठंडी आग में जलते जलते । Swami Krishna Vedant 819
19 November 2025 हम वक़्त की सलीब पर लटके हुए हैं । Swami Krishna Vedant 817
19 November 2025 अंजाने राही ऐसे मिलते हैं जाते हुए वक़्त के मोड़ पर Swami Krishna Vedant 816
19 November 2025 अदब के फूल खिलाये हैं ख़ंजरों के राज में श्रद्धांजलि अज़ीम शायर अहमद फ़राज़ को 815
19 November 2025 निहायत ही घटिया शायर हैं आप I Rajender Tewatia - Swami Krishna Vedant 814
15 November 2025 बारह नवंबर की प्यारी सुबह पतझड़ का गीत सुनाती सुबह कृष्ण वेदान्त 813
15 November 2025 पतझड़ का मौसम आ रहा है जीवन में छिपी मृत्यु का गीत सुना रहा है । कृष्ण वेदान्त 812
13 November 2025 वक़्त की डाली से टूटकर लम्हों के पत्ते किधर जाएँगे ? स्वामी कृष्ण वेदान्त 811