Krishna Vedant

जो बातें और अनुभूतियाँ हमें एक दूसरे से साफ़ साफ़ कहना मुश्किल लगती है उन्हें संक्षिप्त में कहने के लिए मैंने कविताओं ग़ज़लें और नज़्मों का सहारा लिया है !
फिर भी इसमें बहुत कुछ अनकही रह गई है उसे न तो मैं अपनी आँखों से बहते हुए आँसुओं के ज़रिये बयान कर सकता हूँ न अपनी ख़ामोशी से न किसी और तरह से कह सकता हूँ !