Vijay Kumar

namaste dostonकौन सा ग़म था जो ताज़ा न था
इतना ग़म मिलेगा अंदाज़ा न था
आपकी झील सी आंखों का क्या क़ुसूर
डूबने वाले को ही गहराई का अंदाजा न था