Saroj Ghanghas ke Geet
माहरे बनड़े का चौड़ा चौड़ा माथा, उपर धार धरी हे सेहरे की ।। सरोज घणघस ।।
क्यूँ जूती के मड़के ठावे हो पीया रोटी धरी अलमारी में ।। सरोज घणघस ।।
सुन सुन रे मेरी माँ के रे जाए टेम पे भाती आ लिए ।। सरोज घणघस ।।
भेली बांधी भात की रे बीरा न्यौताण आई ।। सरोज घणघस ।।
बनड़े मेरे दादा की गलियां रोज आया करियो ।। सरोज घणघस ।।
रे मेरे राजकवर का ब्याह से मेरे भाई भाती आईए ।। सरोज घणघस ।।
मतना लाइये हाथ मेरे मैं सू पतिव्रता नारी, हो देशां के बेईमान डिगरज्या क्यूँ अक्ल राम ने मारी ।।
हे पति बिस्तर बांधे बड़ कमरे मे रोई ।। सरोज घणघस ।।
हेरी शीशम के घोड़ा बाँध सास मेरा भाई आ रहा से ।। सरोज घणघस ।।
हे मेरा नौ तोला का हार ससुर ने गहने धर दिया हे ।। सरोज घणघस ।।
माहरे घर क्या ने जुल्म करे मैं कोना पढ़ण बैठाई हे ।। सरोज घणघस ।।
माँ का राज पिता की चौधर प्यार रहा ना भाई का, हो गए मर्द गुलाम बीर के घर मे राज लुगाई का ।। सरोज ।।
कोलेज आली हे रे छोरी आपना नाम बता जाइए ।। सरोज घणघस ।।
तेरा बीर नोकरी लागा मेरी बाहण बता के चाहिए हे ।। सरोज घणघस ।।
मेरे सुसरे के बेटी कोन्या हे मेरे कोन्या पति के बाहण ।। सरोज घणघस ।।
फौजी आड़े ते बिस्तर ठा आड़े तो बाग जनाना से ।। सरोज घणघस ।।
मेरा मावस पाछे का ठीक लेन मने आ हे गया ।। सरोज घणघस ।।
बो दिया फार्मी ईख हे उसमे पानी नहीं आया ।। सरोज घणघस ।।
पर्दे के ओले हे जच्चा खड़ी खड़ी बोले ।। सरोज घणघस ।।
हे कुएँ पे भरू जल नीर हवा मे डटती ना गाती ।। सरोज घणघस ।।
पूर्णमल तू के देखे से के मतलब से मेरे ते,हे मोसी मैं कुछ ना देखूँ अर्ज करू सू तेरे ते ।। सरोज घणघस ।
यो जीवन कटी पतंग से हे बेबे करियो कुछ ख्याल ।। सरोज घणघस ।।
हे पति गया प्रदेश छोरियों मैं दूसर लेके आई, हे सौ गई चुदड़ तान छोरियों नींद गजब की आई ।। सरोज घणघस ।
रेशम की सलवार दुपट्टा जाली का हाथ लफा के तोड़ लिया फल माली का ।। सरोज घणघस ।।
बीर मेरा फ़ौज में गया भावज ने लेगा साथ ।। सरोज घणघस ।।
मैं ओढ़ पहर पानी चाली हे आगे ते आग्या मेरा बीर ।। सरोज घणघस ।।
हे दोपहारी में चली पनीहारी ओढ़ चुदड़ी काली, हेरी साची साच बता दे नार तेरी कौन करे रखवाली ।। सरोज ।।
साची साच बता दे री सुनीता के तेरे खास बीमारी से ।। सरोज घणघस ।।
कितनी मुश्किल ते पाले लाल ने जानो सो सब भाई रे, धरती ते भी बड़ी हो से भाइयों जननी माई रे ।।
ज़िले सिंह एक कसूती कर गया मेरा न्यारा बुवाया ईख ।। सरोज घणघस ।।