ShivShaktiStories

🔱 शुरुआत कहाँ से हुई?

भगवान शिव — जिन्हें हम भोलेनाथ, महादेव, नटराज, रुद्र और शंकर जैसे अनेक नामों से जानते हैं — उनका उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद में मिलता है।
ऋग्वेद, जो चारों वेदों में सबसे प्राचीन है (लगभग 1500 ईसा पूर्व), उसमें शिव को 'रुद्र' के नाम से पुकारा गया।

रुद्र का अर्थ है — प्रचंड, भयानक, लेकिन साथ ही रोगों को हरने वाला और कल्याण करने वाला। यह विरोधाभास ही शिव का सार है ।
जहाँ वे विनाश करते हैं, वहीं नवनिर्माण की शुरुआत भी उन्हीं से होती है।
400–200 BCE में पहली बार रुद्र को परम ब्रह्म, यानी Ultimate Consciousness कहा गया।

रुद्र से शिव तक की यात्रा
इस उपनिषद में शिव के लिए लिखा गया:
"एको देवः सर्वभूतेषु गूढः, सर्वव्यापी, सर्वभूतान्तरात्मा।"
(वह एक ही देव है जो सबके भीतर छिपा है, सर्वव्यापक है और सभी आत्माओं के भीतर विद्यमान है।)वे बन जाते हैं सर्वचेतना, आत्मा, और ब्रह्मांडीय ऊर्जा।
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