birjeeschooloflifephilosophy
मानुष जीवन एक अनमोल व सुंदर तोहफा
अलफ आ इन्सान
प्यारा बंधन प्रेम
मालिक तूं जो मिला
अपनी मुहब्बत
प्रेम में खुल जायें दिल की आंखें प्रेम से हो जाती हल्की सांसें
करन करावनहार प्रभु बीर माना आई दिल में धीर
बीर रहमत खजाना लुटाया बन प्रेमी आनन्द पाया
वरसती बीर मेहर भीगते प्रेमी
दिल की बात "बीर" सौगात
प्रभु "बीर" महिमा अपरम्पार सोग कटे न हो लाचार
प्रभु "बीर" कहानी बख्शी जिंदगानी
आत्म जागरूकता हासिल कर सहज जिंदगी जीने में प्रयासरत बीर प्रेमी
जिंदगी हुसीन हूई सौगात दिन अपने अपनी रात
प्रभु "बीर" याद कर नीयत संवारते बीर प्रेमी
बीर प्रभु याद करती दिल शाद
बेअंत महिमा रमज न्यारी समझी बन गई "बीर" दुलारी
महीना कत्तक
संक्रांति पर बीरप्रभु महिमा का आनन्द लेते बीर प्रेमी
प्रेम में समर्पण
प्रभु "बीर" याद रहमत वरसात
मेरे प्रीतम तेरे जाऊं मैं वारे वारे
लग गई यारी
नमो नमो गुरुदेव को इक ओंकार सरूप
दुनिया दे बिच रह के दुनिया तों बाहर होवें ऐसा इक जीवन वाला भेद बतलावा तैनू -महाराज "बीर" जी
रहते आबाद रखते हर पल याद
किसी को याद रख कर रात को आराम करते हैं करोड़ों बार सजदे ख्वाब में गुमनाम करते हैं -"बीर"जी
प्रभु "बीर" ध्यान आत्म सम्मान
September 29, 2025
तेरे हो गये
दिल से माने आत्म पहचाने