How to Reach Tanot Mata Temple by Train || Jaisalmer Tanot Mata Temple Tour Guide
Автор: VLOG WITH JODHPURI LADKA
Загружено: 2024-10-04
Просмотров: 2270
How to Reach Tanot Mata Temple by Train || Jaisalmer Tanot Mata Temple Tour Guide
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पाकिस्तान सीमा के करीब व जैसलमेर से 120 किमी दूर तनोट माता मंदिर कई श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है। भाटी राजपूत राव तनुजी द्वारा बसाए गए तनोट में ही ताना माता का मंदिर स्थित है, इस मंदिर को अब तनोटराय मातेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की पूजा अर्चना की जिम्मेदारी सुरक्षा बलों के जवानों की है। नवरात्रि के दौरान यहां लोगों की सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। ये मंदिर ऐसी कई चमत्कारी चीजों से घिरा हुआ है कि हर कोई सुनने वाला हैरान रह जाता है।
तनोट राजस्थान के जैसलमेर जिले में भारत-पाक सीमा के पास एक गाँव है। सबसे पुराने चरण साहित्य के अनुसार तनोट माता दिव्य देवी हिंगलाज माता का अवतार हैं, जिसके बाद उनका करणी माता का रूप देखा जाता है। मंदिर की स्थापना आठवीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी।
पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध में, भारतीय सेना भारी दबाव में थी क्योंकि पकिस्तान की गोलीबारी का जवाब देने के लिए भारतीय जवानों के पास पर्याप्त हथियार नहीं थे। पाकिस्तानी सेना ने इसका फायदा उठाते हुए साडेवाला चौकी के पास किशनगढ़ सहित बड़े क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया, जहां भारतीय सेना भारी संख्या में मौजूद थी। ये सब देखते हुए भी साडेवाला के 13 ग्रेनेडियर्स अपनी लड़ाई लड़ते रहे। 17 नवंबर को तनोट माता मंदिर के पास चौकी पर गोलाबारी शुरू हो गई, लेकिन आश्चर्य की बात तो ये थी कि इस क्षेत्र में गिरे बम सारे बेअसर हो गए और उनमें से किसी एक में से भी विस्फोट नहीं हुआ।
ऐसा कहा जाता है कि 19 नवंबर तक पाकिस्तानी सेना ने 3000 से भी अधिक बम गिराए, लेकिन तनोट माता मंदिर को एक भी खरोंच नहीं आई थी। कहानी ये भी कहती है कि माता जवानों के सपने में आई थीं और उन्हें मंदिर के आसपास रहकर उनकी सुरक्षा करने का वादा किया था।
1965 में भारत द्वारा पाकिस्तान को हराने के बाद, बीएसएफ ने मंदिर परिसर के अंदर एक चौकी की स्थापना की और उसके बाद से देवी तनोट माता की पूजा की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। मंदिर आज तक बीएसएफ द्वारा संभाला जाता है।
1971 के युद्ध के बाद, तनोट माता और उनके मंदिर के चमत्कार की गूंज दूर-दूर तक पहुंच गई, जिसके बाद बीएसएफ ने उस जगह पर एक म्यूजियम के साथ एक बड़े मंदिर का निर्माण किया जहां पकिस्तान द्वारा भारतीय सेना पर हजारों बम गिराए गए, लेकिन माता की कृपा से सभी बेअसर रहे थे। भारतीय सेना ने मंदिर परिसर के अंदर लोंगेवाला की जीत को चिह्नित करने के लिए एक विजय स्तम्भ का निर्माण किया है। यहां हर साल 16 दिसंबर को 1971 में पाकिस्तान पर मिली एक बड़ी जीत के रूप में उत्सव मनाया जाता है।
○ QUERIES SOLVED :
तनोट माता मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
तनोट माता किसकी कुल देवी है?
तनोट माता का दूसरा नाम क्या है?
तनोट माता मंदिर से पाकिस्तान बॉर्डर कितनी दूर है?
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○ GEAR I USE :
Camera: Sony ZV E10L
Microphone: Boya by-m1
Tripod: Digitek dtr 550 lw Tripod
उद्देश्य - पवित्र और चमत्कारिक मंदिरों और भारत के पुराने धार्मिक और सांस्कृतिक विरासतों को उजागर करना |
🙏🏼🙏🏼 सीताराम 🙏🏼🙏🏼
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