saraswati puja visarjan 2025: मां सरस्वती मूर्ती विसर्जन विधि| saraswati murti visarjan vidhi
Автор: sujit kumar
Загружено: 2025-02-14
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सरस्वती पूजन के चौथे यानि आखरी दिन सरस्वती विसर्जन किया जाता है . यह नवरात्री की दशमी यानि 'विजयादशमी' के दिन मनाया जाता है| इस दिन को सरस्वती उड़वासन के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन माँ सरस्वती की विदाई की जाती है और उनसे अगले साल आने की कामना की जाती है|
माँ सरस्वती एक मात्र ऐसी देवी है जो वैदिक काल से पूजी जा रहीं हैं| माँ सरस्वती की महिमा मध्यकाल व् प्राचीन काल से शास्त्रों में लिखी गयी है| महाभारत के शांति पर्व में भी माँ सरस्वती को "वेदों की जननी" कहा गया है| हिन्दू धर्म के अनुसार माँ सरस्वती संगीत, बुद्धि, कला व् विज्ञान की देवी मानी जातीं हैं| शारदा, महाविद्या नीला सरस्वती, विद्यादायिनी, शारदाम्बा, वीणापाणि, व् पुस्तक धारिणी आदि नामो से माँ जानी जातीं है| माँ सरस्वती को त्रिदेवी भी कहा जाता है जिनका निवास ब्रह्मपुरा में है| माँ सरस्वती चतुर भुजाओं वालीं हैं, जो हमेशा चमकदार श्वेत वस्त्र धारण किये रहती है| माँ सफ़ेद कमल पर विराजमान रहती हैं व् उनका वाहन हंस है| भगवान् ब्रह्मा ने माँ सरस्वती की सूझ-बूझ व् ज्ञान की सहायता से ही इस ब्रह्माण्ड की रचना की थी| सभी श्रध्दालु व् भक्त माँ का पूजन बहुत ही उत्साह व् निष्ठा से मनाते हैं| माँ की स्तुति कर माँ से कामना करतें है की उनको सद्बुद्धि व् ज्ञान की प्राप्ति हो, वो और जीवन के हर लक्ष्य को पा सकें .
Jai mata dii🙏🙏
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