कौन है ब्राह्मण? | Kaun Hai Brahman? | Brahman Pride Rap by Rakesh
Автор: Rakesh Shukla
Загружено: 2025-11-08
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"कौन है ब्राह्मण" — एक दिव्य और वीर रस से भरा संगीत संदेश है जो ब्राह्मणत्व की सच्ची परिभाषा को जगाता है।
यह गीत किसी जाति का नहीं, बल्कि चरित्र, ज्ञान, त्याग और धर्म की चेतना का प्रतीक है।
माथे का तिलक, ज्ञान की ज्योति और आत्मबल — यही है ब्राह्मण की पहचान।
🔥 यह गीत समर्पित है उन सभी महान ऋषियों, आचार्यों, और विद्वानों को जिन्होंने सनातन धर्म की ज्योति को युगों से जलाए रखा।
📿 यह केवल संगीत नहीं, धर्म की पुकार है।
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English:
“Kaun Hai Brahman” is a divine, fierce Veer Ras anthem — a musical revelation of what it truly means to be a Brahman.
It celebrates not a caste, but a consciousness of knowledge, sacrifice, discipline, and Dharma.
The Tilak on the forehead, the glow of wisdom, the fire of character — this is the mark of a true Brahman.
🔥 This track is a tribute to the eternal sages, philosophers, and protectors of Sanatan Dharma who kept the flame alive across ages.
📿 Not just a song — a voice of Dharma.
Lyrics:
मत पूछो कि कौन है ब्राह्मण,
सब-कुछ सुनकर मौन है ब्राह्मण।
भारत का अभिमान है ब्राह्मण,
हिंदू धर्म की जान है ब्राह्मण।
मेधा का वरदान है ब्राह्मण,
शौर्य का सम्मान है ब्राह्मण,
वेद-पुराण रचा है जिसने,
भक्ति की पहचान है ब्राह्मण।
तप की ज्योति से जो दमके
दिव्य-बोध से माथा चमके।
त्याग तपस्या दया करुणा,
जो इनका प्रतिमान, है ब्राह्मण।
जिसने ज्ञान का दीप जलाया,
संस्कार को है फैलाया,
अंधकार में भटके जब तुम,
ब्रह्म-ज्योति से है नहलाया।
वाणी में ही ओज है जिसकी,
जीवन-दर्शन खोज है जिसकी,
बच के रहना क्रोध से उसके,
त्राण का दूजा नाम है ब्राह्मण।
जब भी धर्म पे संकट आया,
उसकी ढाल बना है ब्राह्मण।
धर्म-संस्कृति मूल में जिसकी,
वेदों का विज्ञान है ब्राह्मण।
राज-सिंहासन वो ना चाहे,
राजा का जो बना सहाय,
सत्य-धर्म की रक्षा में जो,
देता है बलिदान वो ब्राह्मण।
अजर सनातन का वो वाहक,
हिंदू धर्म का सतत प्रचारक,
ज्ञानी, योगी और विचारक,
हर रूप में विख्यात है ब्राह्मण।
जिसको नित-दिन तुम गरियाते,
कोस-कोस कर नहीं अघाते,
पर जब कष्ट से हो चिल्लाते,
शरण में उसकी भाग के आते।
बन कर आता जो उद्धारक,
कर्म-कांड का वो कर्तारक,
धर्म-कार्य का जो है साधक,
करता ऐसा काम है ब्राह्मण।
जीवन के हर क्षेत्र में आगे,
जिसके पीछे दुनिया भागे।
धर्म-कर्म की राह दिखाए,
क्या करना है तुम्हें बताए।
चाहे राम हों या हो रावण,
सबका गुरु रहा है ब्राह्मण।
कला गणित विज्ञान चिकित्सा,
प्रज्ञा का है पोषक ब्राह्मण।
तुझमें भी जो ऐसे गुण हैं,
कान खोलकर बात ये सुन ले,
हठ ना कर ये मान ले तू भी,
तेरे अंदर भी है इक ब्राह्मण।
अब न पूछना कौन है ब्राह्मण,
सोच-समझकर मौन है ब्राह्मण,
हिंदू धर्म की जान है ब्राह्मण।
वेदों का विज्ञान है ब्राह्मण।
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