इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण की कहानी : भविष्य का परिवहन। (EVs),टेस्ला कंपनी।—Hindi***Information
Автор: Taj Agro Products
Загружено: 2022-05-13
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'इलेक्ट्रिक वाहन परिवहन क्षेत्र का भविष्य हैं।'***Information
विश्व के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 9 भारत में स्थित हैं। ग्रेटर नोएडा, नोएडा, लखनऊ और दिल्ली सहित ये सभी शहर उत्तर भारत में स्थित यद्यपि वातावरण और मानव स्वास्थ्य के लिये अत्यंत हानिकारक इस प्रदूषण में कई कारकों का योगदान है, वाहनों से होने वाला प्रदूषण इसमें एक उल्लेखनीय भूमिका निभाता है।
इसलिये यह आश्चर्यजनक नहीं है कि भारत में धीरे-धीरे लेकिन निरंतर रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ ही, परिवहन की अपनी सक्षमता के मामले में हम फिर से पूर्व की यथास्थिति पर लौट चले हैं। 1900 के दशक में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के पक्ष में पूरी बहस ईंधन-आधारित वाहनों के समक्ष घुटने टेक देने को मज़बूर हुई थी, लेकिन उम्मीद है कि अब ऐसा नहीं होगा।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी :
विश्व के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 9 भारत में स्थित हैं। ग्रेटर नोएडा, नोएडा, लखनऊ और दिल्ली सहित ये सभी शहर उत्तर भारत में स्थित यद्यपि वातावरण और मानव स्वास्थ्य के लिये अत्यंत हानिकारक इस प्रदूषण में कई कारकों का योगदान है, वाहनों से होने वाला प्रदूषण इसमें एक उल्लेखनीय भूमिका निभाता है।
इसलिये यह आश्चर्यजनक नहीं है कि भारत में धीरे-धीरे लेकिन निरंतर रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ ही, परिवहन की अपनी सक्षमता के मामले में हम फिर से पूर्व की यथास्थिति पर लौट चले हैं। 1900 के दशक में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के पक्ष में पूरी बहस ईंधन-आधारित वाहनों के समक्ष घुटने टेक देने को मज़बूर हुई थी, लेकिन उम्मीद है कि अब ऐसा नहीं होगा।
वर्ष 1886 में एक जर्मन इंजीनियर कार्ल बेंज़ (Carl Benz) ने अपने ‘गैस इंजन से संचालित वाहन' के लिये आवेदन किया था और उन्हें पेटेंट (37435) भी प्रदान की गई थी। इसके कुछ ही माह बाद ‘बेंज़ मोटर’ कार का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया। अधिकांश साक्ष्यों के अनुसार यहीं से गैस इंजनों से संचालित वाहनों के व्यावसायिक उत्पादन की शुरुआत हुई थी।
गौरतलब है कि बेंज द्वारा पेटेंट प्राप्त करने से कुछ वर्ष पूर्व अमेरिका के ‘आयोवा प्रांत’ के एक रसायनज्ञ विलियम मॉरिसन (William Morrison) को भी छह सीटों वाले इलेक्ट्रिक वाहन को संचालित करने में सफलता मिली थी। वर्ष 1900 तक अमेरिका में बिकने वाले सभी वाहनों में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी एक तिहाई से अधिक हो चुकी थी। इलेक्ट्रिक कारों की इस प्रगति को एक बड़ा धक्का तब लगा, जब फोर्ड ने व्यापक स्तर पर ऑटोमोबाइल का उत्पादन शुरू कर दिया, जिसकी कीमतें भी अपेक्षाकृत कम थीं। 1900 के दशक की शुरुआत में व्यापक उत्पादन के कारण कारों की कम कीमत और ईंधन की निम्न लागत के कारण वर्तमान में मोटरकार और बाइक अंधाधुंध हमारी सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
नए परिदृश्य में, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये बढ़ते समर्थन के साथ भारत को बेहतर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, बैटरी निर्माण फैक्ट्रियों और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने हेतु कार कंपनियों एवं उपभोक्ताओं के लिये प्रोत्साहन के साथ स्वयं को तैयार करने की ज़रूरत है।
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)
इलेक्ट्रिक वाहन आंतरिक दहन इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक मोटर से संचालित होते हैं और इनमें ईंधन टैंक के बजाय बैटरी लगी होती है।
सामान्य तौर पर, इलेक्ट्रिक वाहनों की परिचालन लागत कम होती है, क्योंकि इनकी संचालन प्रक्रिया सरल होती है और ये पर्यावरण के लिये भी अनुकूल होते हैं।
भारत में, इलेक्ट्रिक वाहन के लिये ईंधन की लागत लगभग 80 पैसे प्रति किलोमीटर है। इसकी तुलना में, आज भारतीय शहरों में 100 रुपए प्रति लीटर से अधिक के पेट्रोल मूल्य के साथ पेट्रोल-संचालित वाहनों पर 7-8 रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च आता है।
भारत में संभावनाएँ
निजी क्षेत्र ने इलेक्ट्रिक वाहनों की अनिवार्यता का स्वागत किया है।
अमेज़न, स्विगी और ज़ोमैटो जैसी कंपनियाँ अपने डिलीवरी कार्यों के लिये EVs का अधिकाधिक प्रयोग कर रही हैं।
महिंद्रा जैसी कार निर्माता कंपनी की ओला जैसी उपभोक्ता सेवाप्रदाता कंपनी के साथ और टाटा मोटर्स की ब्लू स्मार्ट मोबिलिटी के साथ साझेदारी से अधिकाधिक इलेक्ट्रिक वाहन डिलीवरी और राइड-हेलिंग सेवाओं की सुनिश्चितता होगी।
इलेक्ट्रिक वाहन में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाना: भारतीय बाज़ार को स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के लिये प्रोत्साहन की आवश्यकता है, जो रणनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से भारत के अनुकूल हों।
चूँकि कीमतों को कम करने के लिये स्थानीय अनुसंधान एवं विकास में निवेश आवश्यक है, इसलिये स्थानीय विश्वविद्यालयों और मौजूदा औद्योगिक केंद्रों का सहयोग लेना उपयुक्त होगा।
व्यवहार्य बिजली मूल्य निर्धारण: बिजली की मौजूदा कीमतों को देखते हुए ‘होम चार्जिंग’ भी एक समस्या हो सकता है। बिजली की कीमतों को कम करने के लिये कोयले पर आधारित थर्मल पावर प्लांट के बदले अन्य विकल्प आजमाने होंगे।
इस प्रकार, इलेक्ट्रिक कारों के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिये संपूर्ण बिजली उत्पादन परिदृश्य में भी परिवर्तन लाए जाने की आवश्यकता है।
भारत वर्ष 2025 तक विश्व के सबसे बड़े सौर एवं ऊर्जा भंडारण बाज़ारों में से एक बनने की राह पर है।
सौर ऊर्जा से संचालित ग्रिड समाधानों का संयोजन एक हरित विकल्प के रूप में पर्याप्त चार्जिंग अवसंरचना को सुनिश्चित करेगा।
क्लोज़्ड-लूप मोबिलिटी इकोसिस्टम का निर्माण करना: इलेक्ट्रिक आपूर्ति शृंखला के लिये विनिर्माण को सब्सिडी प्रदान करने से निश्चित रूप से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास परिदृश्य में सुधार होगा।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही एक सुदृढ़ आपूर्ति शृंखला की स्थापना की भी आवश्यकता होगी।
इसके अलावा, बैटरी के रीसाइक्लिंग स्टेशनों को बैटरी से धातुओं (जिनका उपयोग इलेक्ट्रिफिकेशन के लिये किया जाता है) को पुनर्प्राप्त करने की आवश्यकता होगी, ताकि ‘क्लोज़-लूप’ का निर्माण हो सके।

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