Jab Bangalore ki factory ne Japan ko chaunka diya! | WWII ka 'asambhav' Bharatiya chamatkar
Автор: Itihas ke Panne
Загружено: 2025-10-31
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1942. जापानी सेना बर्मा (Burma) से भारत के दरवाज़े तक पहुँच चुकी थी। मित्र राष्ट्रों (Allies) की वायु सेना के विमान "द हंप" (The Hump) पर क्रैश हो रहे थे और बर्मा के जंगलों में टूट रहे थे। अमेरिका से नए पुर्ज़े (parts) आने में 6 महीने लगते थे। जापान को लगा कि उन्होंने मित्र राष्ट्रों की हवाई ताकत को पंगु बना दिया है।
लेकिन वे गलत थे। वे बैंगलोर (Bangalore) में हो रहे एक "असंभव" औद्योगिक चमत्कार से अनजान थे।
यह कहानी है हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड (HAL) की, जिसे एक राष्ट्रवादी उद्योगपति वालचंद हीराचंद (Walchand Hirachand) ने विमान बनाने के सपने के साथ शुरू किया था। जानें कैसे युद्ध की ज़रूरत ने इस छोटी सी फैक्ट्री को पूरे एशिया के सबसे बड़े मरम्मत "सुपर-डिपो" में बदल दिया।
देखें कैसे हज़ारों भारतीय इंजीनियरों, मैकेनिकों और महिला कर्मचारियों ने "जुगाड़" और कौशल का इस्तेमाल करके टूटे-फूटे अमेरिकी B-24 बॉम्बर्स और C-47 डकोटा विमानों को फिर से ज़िंदा कर दिया। और इतना ही नहीं, उन्होंने खरोंच से असली लड़ाकू विमान, कर्टिस P-36 हॉक (Curtiss P-36 Hawk) का निर्माण भी किया। यह वह फैक्ट्री थी जिसने चीन-बर्मा-भारत थिएटर में हवाई युद्ध को ज़िंदा रखा और जापान की हार सुनिश्चित की।
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