Picnic organised by SBI Sahibganj || At beautiful spot ||
Автор: My Life Lens
Загружено: 2024-01-11
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Picnic organised by SBI Sahibganj || At moti jharna || #sahibganjvlog #vlog #sahibganj #exploring
Picnic party organised by our branch at moti jharna on the occasion of new year 2024 we have enjoyed a lot, having fun and masti |
We visited kanhaya sthan , ride a boat enjoyed maa ganga river ||
साहिबगंज : साहिबगंज जिला मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूर गंगा के तट पर स्थित कन्हैयास्थान का नाम देश ही नहीं विदेशों तक है। कृष्णभक्त इसे भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली मानते हैं। कहा जाता है कि प्राचीनकाल में यहां भगवान श्रीकृष्ण ने वैष्णव धर्म के प्रचारक श्रीचैतन्य महाप्रभु को बाल रूप का दर्शन दिए थे। हिंदू धर्म ग्रंथ श्रीचैतन्य चरितामृत के अनुसार 1505 इस्वी में श्रीचैतन्य महाप्रभु बिहार के गया से अपने घर नवदीप लौटने के क्रम में यहां रुके थे। गया वे अपने माता पिता के पिडदान के लिए गए थे। प्रेम विलास नामक पुस्तक के अनुसार 1505 ईसवी में यहां भव्य मंदिर था जिसमें राधा-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित थी। उसी मंदिर में श्रीचैतन्य महाप्रभु को मोर मुकुट धारण किए भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाल रूप का दर्शन दिया। श्रीकृष्ण के बाल रूप को देख श्रीचैतन्य महाप्रभु भावविभोर हो गए और उनसे भावविह्वल होकर आलिगनबद्ध हो गए। कहा जाता है कि इससे पूर्व द्वापर युग में भी श्रीकृष्ण एक बार यहां आए थे। ग्रंथों के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के साथ महारास कर रहे थे। इस दौरान राधा के मन में गोपियों को लेकर द्वेष उत्पन्न हो गया। श्रीकृष्ण ने राधारानी की अंतरात्मा के विचारों को जान लिया और एक गोपनीय स्थान पर चले गये। इससे राधा परेशान हो गईं। उनके काफी अनुनय-विनय के बाद श्रीकृष्ण ने राधारानी को कन्हाई नाट्यशाला में लाकर प्रेम की भावना प्रकट किया। कालांतर में इस स्थल का नाम कन्हैयास्थान पड़ गया।
श्रीकृष्ण व राधारानी के पदचिह्न : इस लीला के उपरांत भगवान श्रीकृष्ण व श्रीराधारानी अपने पदचिह्न यहां छोड़ गये, जो आज भी कन्हैयास्थान मंदिर में स्थापित है। कृष्णभक्त उत्तम प्रभु के अनुसार इस भव्य मंदिर को बाद में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने ध्वस्त कर दिया। मंदिर में स्थापित राधा-कृष्ण की अष्टधातु हाल तक थी। 1994 में वह चोरी हो गई। वे कहते हैं कि विशाल मंदिर के अवशेष यहां आज भी मौजूद हैं। अगर इसकी खुदाई हो तो इतिहास की परतों पर जमी धूल साफ हो सकती है। 1995 में अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावना मृत संघ (इस्कॉन) ने यहां मौजूद मंदिर का प्रबंधन अपने जिम्मे ले लिया। यहां अन्य मंदिरों का निर्माण भी कराया। वर्तमान समय में यहां अतिथि भवन, प्रवेश द्वार, शौचालय, ठहरने की व्यवस्था की व्यवस्था की गई है। गंगा तट को भी आकर्षक तरीके से सजाया गया है जहां दूर-दराज से आने वाले कृष्ण भक्त एवं पर्यटक गंगा स्नान करने आते हैं।
Moti Jharna: यदि आप झारखंड राज्य के निवासी हैं और झारखंड राज्य को छोड़कर दूसरी जगह जाएंगे, तो आपके मुंह से यहां की प्रकृति की सुंदरता की बात जरूर करेंगे. झारखंड में एक नहीं बल्कि कई ऐसे जगह हैं, जहां प्रकृति की सुंदरता आपका दिल जीत लेगी. प्रकृति झारखण्ड राज्य के उपर मेहरबान है, इसलिए तो यहां खनिज संपदाओं के साथ खूबसूरत पर्यटन स्थलों की भरमार है. उन्हीं में से एक है, सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह नगरी साहिबगंज जिले में स्थित मोती झरना. यह साहिबगंज के सबसे प्रसिद्ध झरना में से एक है, बरसात के मौसम में इस जलप्रपात की मनमोहक व खूब सूरती देखते ही बनती है. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और झरने के आसपास लगे केले के पत्ते और आस-पास की हरियाली इस जलप्रपात की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं
मोती झरना के पास ही गजेश्वरनाथ मंदिर
इस झरने के पास ही बाबा गजेश्वरनाथ मंदिर है, जो गुफा के अंदर है. यह मंदिर बाबा गजेश्वर नाथ को समर्पित है, जिसे बाबा मोतीनाथ धाम भी कहते हैं. इस कारण से यहां के झरने का नाम मोतीझरना पड़ा. शिव मंदिर और झरने की वजह से भारी संख्या में भक्त और पर्यटक आते हैं और मनोरम दृश्य का लुफ्त उठाते हैं. अगर आप कभी साहिबगंज जाए तो इस जलप्रपात को देखने और आसपास के मनमोहक दृश्य का लुफ्त उठाने अवश्य जाना चाहिए.
मोती झरना साहिबगंज जिले के तालझारी प्रखंड में स्तिथ है, जिसकी दूरी प्रखंड मुख्यालय से करीब 8-9 किलोमीटर है. यह झरना राज महल के पहाड़ियों से तीन भागों में विभाजित होकर गिरता है, जिसकी ऊंचाई लगभग 50 मीटर है. इस झरने का नाम झरने के पास मोती नाथ (शिवजी) के नाम पर रखा गया है. अब आप तालझारी प्रखंड से जैसे ही मोती झरना की ओर आयेंगे तो आपको खूबसूरत नज़ारे दिखने शुरू हो जाएंगे. ऊंचे पहाड़, आसपास की हरियाली आपके मन को मोह लेगी. पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को लुभाने के लिए कई तरह के कार्य किए हैं, जो काफी सराहनीय है. जैसे कई जानवरों की मूर्तियां, वाच टॉवर, बैठेने के लिए सीट इत्यादि है. इन सभी के अलावा छोटे बच्चों के लिए झूले की भी व्यवस्था है. आप अपने परिवार के साथ भी आकर अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं.
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