आनंद मार्गी के जीवन में प्रत्येक दिन छठ है। || स्नान मंत्र || पितृयज्ञ
Автор: Navneet Anand @95
Загружено: 2024-11-07
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पितृयज्ञ
"पितृपुरुषेभयो: नम: ऋषि देवेभयो: नम:।
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविब्रह्मागनौ ब्रह्मणाहुतम ।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना ।।"
पितृपुरुषो को प्रणाम, देवता और ऋषियों को प्रणाम । (जिन्होंने नवीन वस्तुओं का आविष्कार कर मानव समाज की प्रगति का पथ प्रशस्त किया है, वे ही ऋषि हैं) अर्पण की क्रिया ब्रह्म हैं, जो अर्पित हो रहा है वह ब्रह्म है, जिसमें अर्पित हो रहा है वह ब्रह्म है, जो अर्पण कर रहा है वह ब्रह्म है, ब्रह्मकर्म का समापन कर वह ब्रह्म में ही लीन हो जायेगा ।
आनंद मार्गी का छठ पूजा:----
हर महीने 2 निर्जला उपवास, भोजन पूर्ण सात्विक, दोनों टाइम स्नान उसके बाद प्रत्येक दिन सूरज को प्रणाम (पितृ यज्ञ) साधना तथा नारायण सेवा करने वाले आनंद मार्गी के जीवन में प्रत्येक दिन छठ है।

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