भारी बारिश में नहीं रुका
Автор: Mangal Journey
Загружено: 2025-09-27
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Bhari Barish me Nahi Ruka Garba : Viral Ho Gaya Video
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[27/09, 21:46] Jaurnalist: विश्व पर्यटन दिवस विशेष :
विश्व में जहां पुरा -ऐतिहासिक इमारतों के दौर के बाद आधुनिक निर्माण भी पर्यटन के केंद्र बनते जा रहे हैं। पर्यटन के लिए यात्रा जरूरी है और भारत जैसे देश में यात्रा के लिए सबसे सुलभ और सस्ता साधन रेल मार्ग है। कई देशों की तरह भारत में भी एक दर्जन से ज्यादा रेलवे स्टेशन तक को हैरिटेज और दर्शनीय दर्जा मिल चुका है। कोई अपनी अवस्थित स्थान से कोई पुराना तो कोई घटना से या फिर कोई निर्माण कला से। सबसे पहला स्थान मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस का है जिसे हम सालों से विक्टोरिया टरमिनस के नाम से जानते रहे थे।
नागपुर का रेलवे स्टेशन भी कम ऐतिहासिक नहीं है, निर्माण ही नहीं बल्कि दान के निर्माण से। जी हां..!
मैंने 1989 मई में एक दिन छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से दुर्ग से ग्वालियर के बीच मेरी पहली एक्सप्रेस ट्रेन यात्रा की । मुझे स्थान को एक्सप्लोर करने की आदत इससे भी कुछ पहले की होगी और रेलवे स्टेशन पर छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस का इंजन बदलकर ट्रेन की दिशा उल्टी हो जाती है । इंजन की दिशा बदलते तक मैं बाहर नागपुर रेलवे स्टेशन के मुख्य बिल्डिंग को देखने चला गया और सही समय पर वापस आ भी गया । क्यों , यह मैं आगे बताऊंगा l
दुर्ग में जिस तालाब में रोज नहाने जाता था। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस इस समय भोपाल से दुर्ग पहुंचती थी । रेलवे ट्रैक किनारे तालाब में इस समय नहा कर घर की ओर निकल पड़ता था वही मेरा अलार्म और टाइम टेबल था क्योंकि 10:30 तक मुझे अपने स्कूल पहुंचना होता था । पंजाब से छत्तीसगढ़ के बीच चलने वाली ट्रेन का नामकरण छत्तीसगढ़ अंचल के कारण हुआ था । स्थान का प्रतिनिधित्व और उसके नाम तथा अस्मिता का गौरव से मेरे अंतःस ने इस ट्रेन को शान की सवारी मान लिया था ।
अमृतसर से बिलासपुर तक चलने वाली इस पॉपुलर ट्रेन की 6 रैक यानी इसी नाम की छः ट्रेन हमेशा पटरी पर दौड़ते रहती है।
कोई पहुंच रहा होता है तो कोई निकल रहा होता है कोई आधे रास्ते में होता है । तो कोई प्लेटफार्म पर अपने फिर से सफर की तैयारी में खड़ा होता है ।
1970 में बिलासपुर से हबीबगंज नाम के एक शहरी गांव के बीच एक ट्रेन चली जिसका नाम छत्तीसगढ़ अंचल होता था । रेल्वे के इतिहास में यह ऐसी पहली ट्रेन थी जो बड़े शहरों के बीच नहीं बल्कि एक गांव से एक बड़े शहर के बीच शुरू की गई थी । 3 साल बाद इसे हालांकि भोपाल तक बढ़ा दिया गया । फिर 1987 में हजरत निजामुद्दीन तक और फिर 1990 में अमृतसर तक बढ़ा दिया गया ।
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