गुरु नानक देव जी प्रकाशोत्सव पर भाग 6*
Автор: Bhakti me Shakti
Загружено: 2025-11-10
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Ram bhakti @bhaktimeshakti2281
पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
गुरु नानक देव जी प्रकाशोत्सव पर
भाग 6
परमात्मा को, संतो को यह पसंद नहीं है । मुख मोड़ लेते हैं । किसी प्रकार का भी अभिमान है, किसी प्रकार की भी उत्कृष्टता है, सुबह जल्दी उठने की उत्कृष्टता है,बहुत साधना करने की उत्कृष्टता है, बड़ी बड़ी उत्कृष्टताओं की बात करते हैं, धन-संपत्ति की तो क्या है, meaning less है,साधकों में भी तो इस प्रकार की होती है । मैं अधिक सेवा करने वाला हूं/करने वाली हूं। जो कोई आगे बढ़ता है, उसके प्रति ईर्ष्या, यह सब बड़प्पन के चिन्ह हैं । कहीं हमारे बड़प्पन में कमी ना आ जाए, हमारी मनौती में कमी ना आ जाए, हमारी मान्यताओं में कमी ना आ जाए, जो हमें मान सम्मान मिलता है, यह आगे बढ़ जाएंगे, तो मेरा मान सम्मान काम हो जाएगा ।
यह साधको में, जिन साधकों में ऐसी बात होती है, परमात्मा एवं गुरु उनसे मुख मोड़ लेते हैं ।इतना कुछ उपलब्ध होने के बाद भी, इतनी इन पर मेहनत करने के बावजूद भी, यह टस से मस नहीं होते, अपने दुर्गुण दोष दूर करने को तैयार नहीं है । इनको लगता है कि बड़े मानने, और बड़ा मनवाने में ही सब कुछ है । मानो जो हमने पाना था पा लिया । ऐसे साधक,साधक जनों परमेश्वर कृपा से, गुरु कृपा से, सदा वंचित रह जाते हैं, कुछ नहीं मिल पाता। अभिमान किसी भी प्रकार का समझो;
मेरा अमुक् के साथ गहरा संबंध है,
इस बात का अभिमान;
जो traffic वाले किसी पुलिस ऑफिसर को जानता है, वह कहां rules and regulations की परवाह करता है । यह सिर्फ उसी के लिए सत्य नहीं है, यह साधना में भी साधक जनों सत्य हैं ।
गुरु के आसपास, संत के आसपास भटकने वाले लोग सब वंचित रह जाते हैं । वह यथार्थता को समझ ही नहीं पाते, वह यथार्थता को जान ही नहीं पाते । ऐसे ही मानते हैं जैसे हम इंसान हैं, वैसे वह भी इंसान हैं । मानो ऊपरी ऊपरी चीज उन्हें दिखाई देती है, भीतरी चीज उन्हें दिखाई नहीं देती । यह बहुत पास रहने का कुप्रभाव, उन्होंने लाभ नहीं लिया ।
बाबा नानक कितनी सुंदर उदाहरण से समझाते हैं । विनम्रता, अपने आप को झुकाना, झुके रहना, छोटे से छोटा अपने आप को मानना, दासों का दास, मेरी क्या औकात है परमात्मदेव । मैं कुछ नहीं हूं । जैसे-जैसे यह भाव आपके बढ़ते रहेंगे, आप गुरुकृपा के, परमात्मा की कृपा के, पुण्य पात्र बनते जाओगे, भरपूर मिलेगी ।
एक ही चीज चाहिए, झुकना आना चाहिए। अपने आप को छोटा, अपने आपको शून्य बनाना आना चाहिए । गुरु कहता है यह मान सम्मान वाले तो बहुत है, धनवान तो बहुत घूमते हैं इर्द गिर्द, expansion industrialist तो बहुत घूमते हैं, मुझे इनकी जरूरत नहीं है ।
*संत के सच्चे भाव जानो । परमात्मा का भी यही हाल है । उन्हें भी यह सब नहीं चाहिए। उन्हें तो वह चाहिए जो अपने आप को तोड़ तोड़ कर, तोड़ तोड़ कर, इतना छोटा बना ले, जिसे शून्य कहा जाता है । क्यों ? मैं शून्य हूं, तो मैं शून्य के साथ ही मिलूंगा । साधक जनों ऐसा संबंध है यह । शून्य से शून्य मिलकर तो एक हो जाता है । एक्य प्राप्त हो जाता है । मुझे वह चाहिए जो अपने आप को तोड़ तोड़ कर, तोड़-तोड़ कर, फोड़-फोड़ कर, अपने आपको शून्य बना लेता है ।
I love them.वह मेरे हृदय हैं, वह मेरे अपने हैं । गुरु उन्हें मीत कहता है, यह मेरे मीत है, जो अपने आप को झुकाना सीख लेते हैं, छोटे बन जाते हैं ।
छोटे बने रहते हैं,
छोटा ही अपने आप को समझते हैं,
और छोटा ही औरों को भी कहते हैं कि हम बहुत छोटे हैं । आप सब बड़े हो मेरे से, आप सब बड़े हो, मैं आप सबसे छोटा हूं ।
साधक जनों व्यक्ति रो-रोकर परमात्मा के आगे प्रार्थना करता है । सामूहिक प्रार्थना होती है, रोता है, बिलखता है । लगता है यह बड़ा पहुंचा हुआ व्यक्ति है । यह बहुत अपने आप को छोटा मानने वाला व्यक्ति है, बड़ी विनम्रता है इसके अंदर । कभी उसे अकेले में कह कर देखो, भाई तेरे जैसा दंभी मैंने कोई नहीं देखा, तेरे जैसा कपटी मैंने कोई नहीं देखा । देखो, कैसे आगबबूला होता है। मानो वह सत्य था, या यह सत्य है ।
कौन सा रूप आपका सत्य है । भगवान को ऐसे साधक बिल्कुल भाते नहीं है । वह परमात्मा के प्यारे नहीं बन सकते ।
विनम्रता, देवियो सज्जनों अपने आप को कुछ ना मानना, सब कुछ परमात्मा है, यह विनम्रता का चिन्ह है । आत्मा भाव में रहना, देह बुद्धि का विनाश कर देना, यह आपको विनम्र बनाएगा भाव । यह भगवद बुद्धि आपको विनम्र बनाएगी ।
Humility is the real achievement, real attainment in sadhak’s life. शुभकामनाएं देवियो सज्जनों मंगलकामनाएं । अभी पूर्णिमा है आज । अभी जाप शुरू हो जाएगा । जो बैठना चाहे बैठे । जो जाना चाहे, बड़े आराम से जाएं । आज चंद्रग्रहण भी है, बहुत बड़ा ग्रहण है आज । सायं लगभग 6:15 बजे से शुरू हो जाएगा और रात्रि 9:45 के आस पास 9:48, कुछ ऐसा बहुत लंबा ग्रहण है । बहुत जाप करने का दिन । बहुत से लोग जो छोटे-छोटे मंत्र सिद्ध करते हैं, वह ग्रहण के दौरान किसी ऐसी जगह पर चले जाते हैं, तो कहते हैं कि मंत्र सिद्ध करने के लिए यह बहुत शुभ समय माना जाता है । बहुत जप करते हैं । किसी ने जल में खड़े होना है, किसी ने कैसे होना है, जो छोटे-मोटे, किसी ने श्मशान घाट में जाकर करना है, जो छोटे-मोटे मंत्र सिद्ध करने वाले, वह ।
हमारे पास तो देवियो सज्जनों महामंत्र है । बहरहाल ऐसा संयोग यदि बनता है, कि आज का दिन ऐसा है, तो इससे हमें लाभ लेना चाहिए । खूब जाप करना चाहिए आज के दिन ।
पूर्णिमा भी है, चंद्रग्रहण भी है । आपके पास दिन भी हैं, आपके पास रात भी है । हो सकता है कईयों को आज छुट्टी भी हो । तो इन सब बातों का लाभ लेना चाहिए । तो साधक जनों होता है जाप का शुभारंभ ।
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