सप्तम भाव का स्वामी कुंडली में कहाँ बैठा है, Placement of 7th lord in horoscope,
Автор: नक्षत्र तक
Загружено: 2023-09-23
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सप्तम भाव का स्वामी कुंडली में कहाँ बैठा है, Placement of 7th lord in horoscope,
सप्तमेश का प्रथम भाव में फल:-
सप्तम भाव यदि जातक के प्रथम भाव में विद्यमान हो तो ऐसा जातक बहुत बुद्धिमान और तार्किक होता है।लेकिन जातक स्वभाव से थोड़ा स्वार्थी होता है और केवल अपने लिए ही सोचता है कि समाज में मेरा अच्छा नाम पहचान हो जिससे दूसरों की बातों का कोई कद्र नहीं करता है। ऐसे जातक का विवाह किसी परिचित लड़की के साथ हो सकता है।
सप्तमेश द्वितीय भाव में
सप्तमेश द्वितीय भाव में शुभ प्रभाव में विवाह के उपरांत धन प्राप्त करवाता है l जातक के आर्थिक स्थिति पर उसके पत्नी का प्रभाव पड़ेगा। ग्रहों की अच्छी स्थिति होने पर जातक की पत्नी का परिवार के सदस्यों से अच्छा व्यवहार होता है। ऐसे जातक की पत्नी जातक के स्वादानुसार भोजन बनाती है। जातक का वित्त अथवा खाद्य संबंधी कोई व्यापार हो सकता है।
तृतीय भाव
जातक का विवाह किसी विज्ञापन के जरिये हो सकता है या किसी पडोशी के प्रयास से विवाह तय होता है । जातक की जीवनसंगनी बहुत सुंदर होगी तथा वह किसी अच्छे खानदान से ताल्लुक रखने वाली होगी। ऐसा जातक अपने संतान से बहुत प्रेम करने वाला होगा l यदि यह तीसरे भाव में पीड़ित होगा तो देवर से सम्बन्ध व व्यवहार अच्छा नहीं होगा,
सप्तमेश का चतुर्थ भाव में फल:-
यदि सप्तम भाव का स्वामी जातक के जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में विद्यामान हो तो ऐसे जातक का जन्म किसी सम्पन्न परिवार में होता है। ऐसे जातक का पिता बहुत धनवान होता है इसलिए जातक को अच्छी शिक्षा मिलती है। जातक के पिता एक प्रभावशाली वक्ता हो सकते हैं।
ऐसे व्यक्ति को किसी व्यापार अथवा शिक्षा के संबंध में विदेश भी जाना पड़ सकता है। जातक को पत्नी,पुत्र तथा वाहन और संपत्ति का पर्याप्त सुख मिलता है। जातक का मालिक (बॉस) कोई महिला हो सकती है जिसके अंतर्गत जातक को काम करना पड़ सकता है।
पंचम भाव
सप्तम भाव विवाह का कारक भाव है। पंचम भाव लव या प्रेम का कारक भाव है। यदि सप्तम भाव का स्वामी पंचम भाव में स्थित हो तब जातक की प्रेम विवाह की संभावना बन सकती है। जन्मकुंडली के सप्तम भाव में पंचम भाव का स्वामी उपस्थित होने पर जातक का विवाह जल्दी हो सकता है। जातक की पत्नी किसी अच्छे खानदान की होगी। जातक का यह विवाह प्रेम विवाह भी हो सकता है । जातक की पत्नी आर्थिक रूप से स्वतंत्र होगी।
सप्तम भाव
सप्तम भाव काम त्रिकोण से संबंधित होता है। छठा भाव रोग और बीमारी तथा बुरी आदत से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक सेक्सुअल प्रॉब्लम का सामना करता है। यदि जातक के जन्मकुंडली के षष्ठम भाव में सप्तम भाव का अधिपति विराजमान हो तो ऐसा जातक के विवाह होने में बहुत देरी होती है। ऐसे जातक की पत्नी विदेशी मूल की अथवा भिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से हो सकती है।
सातवां घर -:
स्वामी के उचित स्थान पर होने की स्थिति में जातक सुंदर एवं आकर्षक होता है। इनका जीवनसाथी किसी प्रतिष्ठित परिवार से होता है। सप्तमेश के सप्तम भाव में होने से ग्रह स्वगृही होगा जो जातक के दाम्पत्य जीवन के लिए बहुत शुभ होगा | ऐसे जातक को सुन्दर एवं शीलवान जीवनसाथी मिलेगा | जातक स्वयं आकर्षक व्यक्तित्व का होगा | इसे अच्छे साझेदार मिलेंगे |
सप्तमेश का अष्टम भाव में फल:-
यदि सप्तम भाव का स्वामी ग्रह पीड़ित हो और वह अष्टम भाव मेंविद्यमान हो तो पति-पत्नी के बीच किसी बात की गलतफहमी की वजह से रिश्तो में दरार आ सकता है। जातक पत्नी से अलग रहने वाला बन सकता है जिससे वैवाहिक जीवन का पूरा आनंद किरकिरा हो सकता है। पत्नी अपने पति के प्रति सम्मानजनक व्यवहार नहीं करेगी।
जातक अथवा उसकी पत्नी किसी यौन रोग से पीड़ित सकते हैं। जातक का अपनी पत्नी से तलाक हो सकता है।
सप्तमेश का नवम भाव में फल:-
जन्मकुंडली में यदि सप्तम भाव का स्वामी नवम भाव में विद्यमान हो तो जातक और उसके पत्नी का व्यवहार बहुत बढ़िया होता है। ये दोनों अच्छे स्वभाव के होते हैं। विवाह के बाद जातक का भाग्योदय हो सकता है। जातक की पत्नी धार्मिक स्वभाव वाली हो सकती है। ऐसे जातक की पत्नी उसके भाई या बहन अथवा पड़ोसियों से बहुत लगाव रखने वाली होती है।
सप्तमेश का दशम भाव में फल:-
सप्तम भाव का अधिपति यदि जातक के दशम भाव में विद्यामान हो तो जातक अपने पेशेवर जीवन में अच्छी सफलता हासिल करता है। जातक अपने संबंधित पेशे में एक लीडर की तरह भी काम कर सकता है। जातक को धन का अर्जन करने वाली पत्नी मिल सकती है जिससे जातक की सफलता कई गुना बढ़ सकती है। जातक को अपने जीवनसंगनी से अच्छा सुख मिलता है।
सप्तमेश का एकादश भाव में फल:-
यदि जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव का स्वामी एकादश भाव में उपस्थित हो तो जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है और आसानी से लोग-बाग जातक की ओर खीचें चले आते हैं। ऐसा जातक दो या इससे अधिक पत्नियों वाला हो सकता है। जातक को विवाह के बाद धन लाभ का योग बन सकता है।
सप्तमेश का द्वादश भाव में फल:-
जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव का स्वामी द्वादश भाव में विद्यामान हो तो ऐसा जातक अपने पत्नी के लिए तरह-तरह के समान को खरीदने में अपना बहुत धन व्यय करते हैं अथवा जातक की पत्नी स्वयं ही अपने साजो-सामान खरीदने के लिए पैसे व्यय करती रहती है।
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