#देवनंदन_और_रुदल
Автор: Aashutosh Tent
Загружено: 2025-12-18
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देवनंदन और रुदल का मिलन
(आल्हा–रुदल / मैथिली नाच के संदर्भ में)
राजनीति-बुद्धि और रण-वीरता का यह मिलन कथा का निर्णायक क्षण माना जाता है।
देवनंदन—राजपक्ष का अनुभवी सलाहकार, नीति और विवेक का प्रतीक—जब पहली बार
रुदल—वीर, स्वाभिमानी और संघर्ष से तपे योद्धा—से मिलता है, तो दोनों की सोच भिन्न होते हुए भी लक्ष्य एक हो जाता है।
देवनंदन रुदल को समझाता है कि केवल तलवार से नहीं, रणनीति और धैर्य से भी युद्ध जीते जाते हैं।
रुदल अपनी निर्भीकता और सत्यनिष्ठा से देवनंदन को प्रभावित करता है—वह दिखाता है कि नीति तभी सफल है जब उसके पीछे जनबल और साहस हो।
इस मिलन से जन्म लेता है—
न्यायपूर्ण युद्ध की दिशा
राज और प्रजा के बीच संतुलन
मोहबा की रक्षा का संकल्प
नाच/आल्हा की पंक्ति-भावना:
“बुद्धि देवनंदन, भुजा रुदल की,
दोनो मिले त मोहबा अडिग खड़ी।”
अगर आप चाहें तो मैं इसे स्टेज शो दृश्य, संवाद, या आल्हा छंद में पूरी कथा के रूप में भी ढाल सकता हूँ।
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