आर्थिक मुद्दे : Inclusive Development and Challenges
Автор: Dhyeya TV
Загружено: 2019-02-15
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समावेशी विकास के ज़रिए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास के दौरान समाज के सभी वर्ग के लोगों को इसके लाभ और समान अवसर की बात की जाती है।
भारत में सबसे पहला समावेशी विकास ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के मसौदे के साथ पेश किया गया था। इसके बाद 12वीं पंचवर्षीय योजना के मसौदे में समावेशी विकास पर और ज़ोर दिया गया। समावेशी विकास के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई है - जिनमें दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, मनरेगा, समेकित बाल विकास योजना, और मिड डे मील जैसी योजनाएं शामिल हैं। साथ ही स्कूली शिक्षा और साक्षरता, सर्व शिक्षा अभियान, जेएनएनयूआरएम, त्वरित सिंचाई लाभ और राष्ट्रीय कृषि विकास जैसी योजनाएं भी समावेशी विकास के लिए चलाई जा रही हैं।
विश्व बैंक की ओर से जारी होने वाले इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस इंडेक्स में साल 2018 में भारत 190 देशों में 77वें रैंक पर रहा। सरकार ने इस दिशा में बेहतर काम करते हुए पिछले चार सालों में 57 पायदान का इजाफ़ा किया है। व्यापारिक स्तर पर समावेशन के लिहाज़ से इसे अच्छी उपलब्धि मानी जा रही है।
अगर मानव संसाधन विकास में समावेशन की बात की जाय तो संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम यानी UNDP द्वारा जारी किये जाने वाले मानव विकास सूचकांक यानी HDI में भारत कोई खास प्रगति नहीं कर पाया है। साल 2014 में भारत की रैंक 130 थी और साल 2018 में भी भारत इस मामले में 130वें पायदान पर ही बना हुआ है।
इसके अलावा पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में साल 2018 में भारत को 180 देशों में 177वाँ रैंक मिला जबकि 2014 में भारत 180 देशों में 155वें पायदान पर था। यानी पर्यावरण के मामले में भारत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल रहा।
Anchor: आलोक पुराणिक
Guests: डा. विजय वर्मा, अध्यापक, राजनीती विभाग, दिल्ली विश्विद्यालय
शिशिर सिन्हा , वरिष्ठ पत्रकार, हिन्दू बिज़नेस लाइन
Report : Keshari Pandey
Graphics: Imran Khan
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