उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा l Utpanna Ekadashi Vart Katha l Ekadashi Vrat Katha l Utpanna Ekadashi
Автор: Siya Bhakti
Загружено: 2025-11-14
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उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा l Utpanna Ekadashi Vart Katha l Ekadashi Vrat Katha l Utpanna Ekadashi
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Utpanna Ekadashi as per Vaishnav calendar 15th Nov 2025
brahma muhurat 5:17am
उत्पन्ना एकादशी
तिथि और समय (2025)
इस वर्ष उत्पन्ना एकादशी की तिथि उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर 2025 (मार्गशीर्ष मास, कृष्ण-पक्ष की एकादशी) को है।
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 15 नवंबर 2025 को रात 12:49 बजे
तिथि समाप्त: 16 नवंबर 2025 को रात 2:37 बजे
पारण (व्रत तोड़ने) समय: 16 नवंबर को दोपहर 1:10 PM से 3:18 PM तक
महत्व और पौराणिक कथा
उत्पन्ना एकादशी को सभी एकादशियों की उत्पत्ति कहा जाता है — मान्यता है कि इस दिन एकादशी देवी का अवतार हुआ था, जो सर्वप्रथम प्रकट हुई।
कथा के अनुसार, राक्षस मुर ने देवों व इंद्रों को परेशान किया। जब विष्णु योगनिद्रा में थे, तब एकादशी देवी ने उनका रक्षा करते हुए मुर का वध किया।
इस दिन व्रत रखने, पूजा करने, दान देने से पापों का नाश होता है, मोक्ष की दिशाएँ खुलती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
व्रत-पूजा विधि
प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा-स्थल शुद्ध करें (गंगाजल, तुलसी आदि से) और पीला या हल्का कपड़ा बिछाएं।
पूजा में मुख्य रूप से भगवान विष्णु की प्रतिमा/चित्र, तुलसी दल, पीले फूल, अक्षत, दीप-धूप, पंचामृत आदि शामिल करें।
व्रत का संकल्प लें — उपवास रखें, मन को शुद्ध रखें। व्रत प्रकार: निर्जला (बिना भोजन-जल), फलाहार, या संयमित भोजन आदि।
व्रत पारण हेतु मुहूर्त के समय का ध्यान रखें (उपरोक्त समय)।
व्रत के नियम व उपाय
इस दिन अनाज, दाल, चावल आदि कुछ लोग नहीं लेते; हल्का संतुलित भोजन या फलाहार करते हैं।
तुलसी पौधे को पूजा में विशेष स्थान दें। तुलसी के पास दीपक जलाना, तुलसी पत्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।
पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय माना जाता है, इसलिए पीले फूल, पीला वस्त्र या किसी पीला रंग की वस्तु अर्पित करना लाभदायक।
जरूरतमंदों को दान-दान करना व्रत को और पुण्यवत्तर बनाता है।
विशेष बातें
यह व्रत न केवल पापों से मुक्ति का माध्यम है बल्कि मन-शरीर को संयमित व शुद्ध करने का अवसर भी है।
यदि संभव हो, तो पूरे मन से पूजा-भक्ति करें, कथा सुनें या पढ़ें
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