Mahasu Devta • देवन यात्रा• 2018 Part - 1 | पवासी महासू और शैडकुडिया महाराज का देवन में भव्य स्वागत
Автор: Raw Studio
Загружено: 2018-06-29
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Mahasu Devta Devan Yatra 2018
May 24, 2018
Pavasi Mahasu - Shedkuliya Maharaj
•देवन गाथा•
ये गाथा कुछ जानकारों द्वारा इस प्रकार से बताई गई है - प्राचीनकाल में भगवान शिव जब पांडवों से बचकर भाग रहे थे तब वो वृषभ रुप में देवन मे भी आये थे, देवन की देखरेख व सुरक्षा के लिये उन्होनें अपने रुद्र शक्तियों से पाताल भैरव जिसे कैलाथ भी कहा जाता है,तथा सोलहसाउणी व नौ लाख मात्रिकाओं व कांडा रानी कालकाओं के साथ प्रकट किया और वो सब वहाँ रहने लगे तथा शिव पांडवो से बचकर केदारनाथ की ओर चले गये
• द्वापरयुग का अंत हुआ और कलयुग का आरंभ
भगवान शिव के चार महासू अवतार ने किरमिर दानव का वध किया और हनोल मे चार महासू जब अपना राज या क्षेत्र बांटने लगे तो क्रोधी अवतार पवासी महासू को पांशभील बंगाण का राज मिला, राज मिलते ही पवासी महासू को देवन की याद आ गई, उन्होनें देखा कि देवन में कैलाथ आनन्द में है तो अपनी जगह वापस लेने हेतु भंवर विद्या से रुपवान राजकुमार का वेश धारण किया और कैलाथ के समक्ष जाकर उनसे देवन से जाने को कहा, सोलहसाउणी और कांडारानी और मात्रिकाऐं पवासी पर मोहित हो गई, कैलाथ ये सब देखकर क्रोधित हुआ और पवासी (राजकुमार का रुप धारण किऐ हुऐ) पर अपनी रुद्र शक्तियों का प्रयोग करने लगा और परंतु पवासी पर उसकी शक्ति का कुछ असर नहीं हुआ, अपनी सारी शक्ति का प्रयोग कर वो पवासी को जरा भी हीला नहीं पाया तो (वो स्थान देवन में आज भी है जहाँ पर पवासी स्नान करते है) ये सब देखकर माता सोलहसाउणी ने अपनी मायाशक्ति से पवासी को पहचान लिया और विस्मित होकर कैलाथ वीर से कहा कि ये साक्षात महाशिव हैं जिन्होने पांडवो के समय हमें यहां पर देवन में रखा था। ऐसा सुनकर कैलाथ वीर को अपनी गलती का अहसास हुआ और माफी मांगकर कहा ये स्थान आपका ही था हमें आप अपनी सेवा करने की आज्ञा दें महाशिव पवासी। पवासी ने कैलाथ को माफ किया और अपना अगुआ वीर बना दिया। जीस समय यह घटना हुई उस समय बैसाख का महीना चल रहा था तो आज के दौर में पवासी महासू बैसाख के महीना में अपने तीर्थस्थान पर स्नान करने जाते हैं जिसके लिये कुछ दिनों तक सालभर में एक बार कपाट खुलते हैं। यहाँ दूर दूर से लोग पानी के लिये आते हैं, जहाँ पर बारिश नहीं होती उनको महाराज अपनी जटाओं से पानी देते हैं, देवन तीर्थ में पित्रों की शांति के लिये तृपण भी किया जाता है, हर प्रकार का दोष, कष्ट, प्रेतबाधा समाप्त हो जाती है। वर्तमान मंदिर ( महासू थान) 1974 में प्रसिद्ध राजमिस्त्री गंगाराम द्वारा बनाया गया था जो महाशिव पवासी महासू के सबसे बड़े थान (ज्येष्ठ थान) बामसू के रहने वाले थे। राजमिस्त्री गंगाराम ने ही 1993 में हनोल बोठा महासू मंदिर एंव 1999-2003 में ठडियार महासू मंदिर का निर्माण किया था। इन गाथा पर हमारे द्वारा हुई जाने अनजाने में किसी भी तरह की त्रुटियों के लिए हमें क्षमा करें।
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