अद्वैत वेदांत सम्पूर्ण Audiobook | Upanishads, Gita, Brahmasutra से आधुनिक युग तक | Full Audiobook
Автор: Spiritual Spirit
Загружено: 2025-09-12
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अद्वैत वेदांत सम्पूर्ण Audiobook | Upanishads, Gita, Brahmasutra से आधुनिक युग तक | Full Audiobook
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This audiobook is created purely for educational and spiritual purposes.
All content is based on publicly available scriptures and historical sources.
इस अद्वैत वेदांत ऑडियोबुक में हम आपको एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले चलेंगे –
जहाँ वेद, उपनिषद, भगवद्गीता और ब्रह्मसूत्र के रहस्यों से लेकर आदि शंकराचार्य, स्वामी विवेकानन्द, रामन महर्षि, और निसर्गदत्त महाराज की शिक्षाओं तक सबकुछ विस्तार से समझाया गया है।
आप सुनेंगे –
Chapters Covered in the Audiobook
1. प्रस्तावना (Introduction)
रहस्यमयी प्रश्न: “क्या वास्तव में यह सम्पूर्ण जगत एक ही सत्य की अभिव्यक्ति है?”
अद्वैत वेदांत की यात्रा का आमंत्रण।
शंकराचार्य की संक्षिप्त झलक और अद्वैत की सार्वभौमिक अपील।
2. अध्याय 1: अद्वैत का उद्गम और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
वेदों और उपनिषदों में अद्वैत की जड़ें।
ऋग्वेद का “एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति।”
छांदोग्य, बृहदारण्यक, मांडूक्य उपनिषद।
सांख्य, योग, न्याय, मीमांसा जैसे अन्य दर्शनों के बीच स्थान।
बौद्ध और जैन दर्शन से संवाद।
3. अध्याय 2: मूल ग्रंथ – उपनिषद, गीता और ब्रह्मसूत्र
आत्मा और ब्रह्म की एकता।
गीता का अद्वैत दृष्टिकोण: “ममैवांशो जीवलोके।”
ब्रह्मसूत्र: “अथातो ब्रह्मजिज्ञासा।”
शंकराचार्य के भाष्य और त्रयी की व्याख्या।
4. अध्याय 3: आदि शंकराचार्य का योगदान (संक्षेप में)
जन्म, शिक्षा, गुरु गोविंदपादाचार्य।
मंडन मिश्र और उभया भारती शास्त्रार्थ।
प्रमुख कृतियाँ और मठों की स्थापना।
विरासत और 32 वर्ष का जीवन संदेश।
5. अध्याय 4: अद्वैत के मुख्य सिद्धांत
ब्रह्म – सच्चिदानंद, निर्गुण, अनंत।
आत्मन – जीव का असली स्वरूप।
महावाक्य: “अहं ब्रह्मास्मि”, “तत्त्वमसि।”
माया और अविद्या।
मोक्ष और जीवन्मुक्ति।
प्रत्यक्ष अनुभूति का महत्व।
6. अध्याय 5: ज्ञान का मार्ग
श्रवण, मनन, निदिध्यासन।
मांडूक्य उपनिषद और ओंकार साधना।
जीवन्मुक्ति के उदाहरण (याज्ञवल्क्य, रामन महर्षि)।
7. अध्याय 6: अन्य दर्शनों से तुलना
द्वैत वेदांत (माध्वाचार्य)।
विशिष्टाद्वैत (रामानुजाचार्य)।
शुद्धाद्वैत (वल्लभाचार्य)।
बौद्ध शून्यवाद।
अद्वैत की समग्रता और विशेषता।
8. अध्याय 7: शिष्य, मठ और परंपरा का प्रसार
पद्मपाद, तोटकाचार्य, हस्तामलक, सुरेश्वराचार्य।
शृंगेरी, द्वारका, पुरी, ज्योतिर्मठ।
गुरु-शिष्य परंपरा और अद्वैत का संगठन।
9. अध्याय 8: मध्यकालीन संरक्षण और विकास
मठों और आचार्यों की भूमिका।
विद्यारण्य स्वामी और विजयनगर साम्राज्य।
तुलसीदास, कबीर, ज्ञानेश्वर, मीराबाई आदि पर प्रभाव।
10. अध्याय 9: आधुनिक युग में अद्वैत
स्वामी विवेकानन्द और पश्चिम में प्रचार।
रामन महर्षि और आत्मविचार (“Who am I?”)।
निसर्गदत्त महाराज – I Am That।
पश्चिमी दार्शनिकों और वैज्ञानिकों पर प्रभाव।
थियोसोफिकल सोसायटी और न्यू एज मूवमेंट।
11. समापन: अद्वैत का सार और प्रेरणादायक संदेश
महावाक्यों का पुनः स्मरण: “तत्त्वमसि”, “अहं ब्रह्मास्मि।”
शंकराचार्य का अंतिम संदेश।
आत्मा और ब्रह्म की एकता।
प्रेरणादायक आह्वान: “तुम वही हो – अनंत, शाश्वत और चैतन्य।”
👉 यह ऑडियोबुक उन सभी के लिए है जो भारतीय दर्शन, आध्यात्मिकता और आत्मबोध की गहराइयों को समझना चाहते हैं।
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