भारत पर ही आनी थी मुसीबत! रूस ने भी हांथ खड़े किए भारत के पास REEs पॉवर 1% भी नहीं ।
Автор: HIND News Dot
Загружено: 2025-12-29
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भारत पर ही आनी थी मुसीबत! रूस ने भी हांथ खड़े किए भारत के पास REEs पॉवर 1% भी नहीं ।
भारत और रूस के रिश्ते केवल पुराने मित्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी है। इसके बावजूद हालात यह दिखाते हैं कि रूस के साथ व्यापार और रणनीतिक लाभ के मामले में भारत की तुलना में चीन कहीं अधिक मजबूत स्थिति में खड़ा है। बीते एक वर्ष में भारत–रूस व्यापार लगभग 68.7 अरब डॉलर का रहा, जबकि इसी अवधि में रूस–चीन व्यापार 244 अरब डॉलर से अधिक पहुंच गया। यह अंतर केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि सिस्टम और एग्जीक्यूशन की ताकत का है।
सबसे बड़ी समस्या पेमेंट सिस्टम की है। पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण डॉलर आधारित भुगतान संभव नहीं है। रूस के पास भारत से कमाए गए अरबों डॉलर के बराबर रुपए जमा हो गए हैं, लेकिन वह इस राशि को भारतीय बाजार में प्रभावी ढंग से खर्च नहीं कर पा रहा। 2024 में रूस ने भारत से लगभग 5 अरब डॉलर की खरीद की, लेकिन करीब 45 अरब डॉलर के बराबर रुपए उपयोग से बाहर रह गए। यह समस्या हर साल और गहरी होती जा रही है।
इसके उलट चीन के साथ रूस को ऐसी दिक्कत नहीं है। चीन के पास CIPS (Cross-Border Interbank Payment System), युआन आधारित सेटलमेंट और स्वैप लाइन जैसी व्यवस्थाएं हैं, जो प्रतिबंधों के बावजूद व्यापार को सुचारु बनाए रखती हैं। भारत यदि रुपए को युआन में बदलकर रूस को भुगतान करता है, तो इससे चीन की मुद्रा और रणनीतिक स्थिति और मजबूत होगी, जिसे भारत स्वीकार नहीं कर सकता।
दूसरी बड़ी चुनौती रेयर अर्थ एलिमेंट्स की है। भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेयर अर्थ एलिमेंट्स भंडार मौजूद है, लेकिन प्रोसेसिंग और रिफाइनिंग क्षमता केवल लगभग 1 प्रतिशत है। असली ताकत खदान में नहीं, बल्कि फैक्ट्री में होती है जहां रिफाइनिंग, प्रोसेसिंग और वैल्यू चेन इंटीग्रेशन होता है। इस मोर्चे पर भारत एग्जीक्यूशन, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में पीछे है।
चीन इस पूरे वैल्यू चेन पर दशकों से हावी है और वह नहीं चाहेगा कि भारत हेवी-ग्रेड रेयर अर्थ प्रोसेसिंग में आत्मनिर्भर बने। ऐसे संकेत मिलते हैं कि रूस पर भी चीन का अप्रत्यक्ष दबाव हो सकता है, जिससे भारत को इस क्षेत्र में अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा। नतीजा यह है कि पेमेंट सिस्टम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स – दोनों ही मोर्चों पर भारत के सामने रणनीतिक चुनौती खड़ी है, जबकि चीन इन हालात का पूरा लाभ उठाने की स्थिति में है।
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