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Автор: RR ITI
Загружено: 17 апр. 2025 г.
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इन्वर्टर कनेक्शन का उद्देश्य:
इन्वर्टर का उपयोग तब किया जाता है जब बिजली की सप्लाई बंद हो जाती है, ताकि लाइट, पंखा, या अन्य जरूरी उपकरण चलते रहें। इसे घर की वायरिंग से जोड़कर आवश्यक उपकरणों को बैकअप सप्लाई दी जाती है।
इन्वर्टर कनेक्शन का तरीका:
1. मुख्य सप्लाई का चयन:
इन्वर्टर को मुख्य विद्युत पैनल (Main Distribution Board) से जोड़ा जाता है। इसमें एक MCB या DP स्विच के ज़रिए इन्वर्टर की लाइन को कंट्रोल किया जाता है।
2. इन्वर्टर इनपुट कनेक्शन:
इन्वर्टर को चार्ज करने के लिए इसकी इनपुट वायर को मुख्य सप्लाई से जोड़ा जाता है। यह कनेक्शन MCB या सॉकेट के माध्यम से होता है।
3. इन्वर्टर आउटपुट कनेक्शन:
इन्वर्टर की आउटपुट वायर को एक अलग सब-लाइन में जोड़ा जाता है, जिससे केवल चुने हुए उपकरण (जैसे कुछ लाइट, पंखे, या टीवी) ही इन्वर्टर से जुड़ें। इन उपकरणों की वायरिंग को "इन्वर्टर लाइन" कहा जाता है।
4. चयनित उपकरणों की वायरिंग:
घर की सामान्य वायरिंग से अलग एक इन्वर्टर लाइन बनाई जाती है जिसमें बैकअप के लिए चयनित पॉइंट जोड़े जाते हैं। ये पॉइंट इन्वर्टर की आउटपुट से जुड़े रहते हैं।
5. स्विच ओवर सिस्टम:
कई बार इन्वर्टर में ऑटोमैटिक ट्रांसफर स्विच (ATS) लगा होता है, जो बिजली जाने पर अपने आप इन्वर्टर मोड में शिफ्ट हो जाता है।
सावधानियाँ:
इन्वर्टर को फ्रिज, हीटर, मिक्सर आदि भारी उपकरणों से नहीं जोड़ा जाता।
वायरिंग करते समय हमेशा कुशल इलेक्ट्रिशियन की सहायता लें।
इन्वर्टर बैटरी की नियमित जांच और रखरखाव करें।

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