राग आसावरी (परिचय)। Raag Ashavari (Introduction)।
Автор: Bhartee Kala Kendra
Загружено: 2020-04-15
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राग आसावरी
ग ध नी स्वर्ग कोमल रहे, आरोहण ग नी हानि।
ध ग वादी संवादी से, आसावरी पहचान।।
थाट-आसावरी
वर्ज्य स्वर- आरोह में ग नी
जाति- ऑडव- सम्पूर्ण
गायन समय - दिन का दूसरा प्रहर
वादी- ध समवदी - ग
न्यास स्वर- _ग , प
मिलता जुलता राग - जौनपुरी
आश्रय राग
आरोह- सा रे म प, _ध सां।
अवरोह-सां _नी _ध प, म प _ध म प _गS रे सा।
पकड़- म प _ध म प _ग, रे सा।
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