Chandika Devi Simli | यज्ञपुरुष का विवाह | Uttarakhand | Vlog | Religion
Автор: Sagar Rawat UK
Загружено: 2025-06-01
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चण्डिका देवी यात्रा 2024-25 | Pahadi Culture | Uttarakhand | Vlog
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चंडिका देवी कौन हैं?
चंडिका देवी हिंदू धर्म में माँ दुर्गा का एक उग्र और शक्तिशाली रूप हैं।
इन्हें चंडी या चामुंडा के नाम से भी जाना जाता है।
देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) में चंडिका देवी का वर्णन राक्षसों चंड, मुंड, महिषासुर और रक्तबीज का वध करने वाली महाशक्ति के रूप में मिलता है।
यह रूप सत्य, धर्म और सदाचार की रक्षा के लिए और अधर्म एवं अन्याय के नाश के लिए अवतरित हुआ था।
यह स्वरूप अत्यंत उग्र, युद्धप्रिय और दुष्ट शक्तियों के लिए विनाशकारी माना जाता है, लेकिन भक्तों के लिए माँ का यह रूप करुणामयी और रक्षक है।
🛕 प्रमुख चंडिका देवी मंदिर
1. चंडिका देवी मंदिर – जूचंद्रा (महाराष्ट्र)
स्थान – वसई/नायगांव के पास, जूचंद्रा गाँव, महाराष्ट्र।
विशेषता – यह मंदिर लगभग 400 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन गुफा में बना है।
मंदिर में चंडिका देवी, कालिका, महिषासुरमर्दिनी और गणेश जी की मूर्तियाँ हैं।
स्थानीय मान्यता है कि यह स्थान पांडव काल से जुड़ा हुआ है।
यहाँ नवरात्रि और चैत्र यात्रा में विशेष मेले और उत्सव होते हैं।
2002 में मंदिर का नवीनीकरण हुआ और अब यहाँ लिफ्ट व अन्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
2. चंद्रिका देवी मंदिर – लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
स्थान – गोमती नदी के किनारे, लखनऊ के पास काठवारा गाँव।
विशेषता – लगभग 300 साल पुराना यह मंदिर माँ दुर्गा के चंद्रिका रूप को समर्पित है।
यहाँ अमावस्या और नवरात्रि पर विशेष पूजा, हवन, भजन-कीर्तन होते हैं।
यह मंदिर क्षेत्र का एक प्रमुख शक्ति पीठ माना जाता है।
3. पाटनादेवी (जलगाँव, महाराष्ट्र)
विशेषता – यह मंदिर सती की कथा और आदि शक्ति चंडिका से जुड़ा है।
12वीं शताब्दी में स्थापित, यह मंदिर नवरात्रि में विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है।
4. चंडिका देवी मंदिर – बागेश्वर (उत्तराखंड)
स्थान – बागनाथ मंदिर के पास, बागेश्वर।
यहाँ माँ को तांत्रिक और काली माता के रूप में पूजा जाता है।
नवरात्रि में यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
5. चंडिका देवी, सिमली – कर्णप्रयाग (उत्तराखंड)
यह एक तांत्रिक शक्ति पीठ है जो जंगलों के बीच स्थित है।
यहाँ विशेष तांत्रिक पूजा और जनजातीय परंपराओं से जुड़े अनुष्ठान होते हैं।
6. चंडी देवी मंदिर – हरिद्वार (उत्तराखंड)
स्थान – नील पर्वत की चोटी, हरिद्वार।
निर्माण – 1929 में कश्मीर के राजा सुचात सिंह ने करवाया, किंतु मूर्ति आदि शंकराचार्य द्वारा 8वीं शताब्दी में स्थापित मानी जाती है।
यह उत्तराखंड का एक सिद्ध पीठ है और मंसादेवी व मायादेवी मंदिर के साथ हरिद्वार की तीन प्रमुख देवियों में शामिल है।
यहाँ जाने के लिए पैदल रास्ता और रोपवे (उड़नखटोला) दोनों की सुविधा है।
🎉 प्रमुख उत्सव
नवरात्रि – माँ चंडिका की सबसे बड़ी पूजा। 9 दिन तक अखंड ज्योति, दुर्गा सप्तशती पाठ, गरबा/डांडिया और मेले का आयोजन।
चैत्र यात्रा – महाराष्ट्र व उत्तराखंड के कुछ स्थानों पर चैत्र मास में विशेष मेले।
अमावस्या – लखनऊ व अन्य जगहों पर विशेष पूजा-पाठ।
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