पी ले प्याला हो मतवाला, प्याला प्रेम हरि रस का रे | Kabir Ke Bhajan । Kabir Ke Dohe | कबीर
Автор: Satya Sagar
Загружено: 2025-12-05
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“हर पल बीती जाए रे उमरिया” — यह निर्गुण भजन जीवन के सबसे गहरे सत्य को सहज भाषा में उजागर करता है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता; प्रत्येक क्षण मौन कदमों से आगे बढ़ता जाता है। जो बीत गया, वह लौटता नहीं — और जो आने वाला है, वह अनिश्चित है। यही भाव इस भजन को आत्म-जागरण की पुकार बना देता है।
Singer : KK Chaudhary
Lyrics :- Satya Sagar
यह रचना हमें याद दिलाती है कि
जीवन क्षणभंगुर है, पर अवसर अनमोल।
जो आज है, वही वास्तविक है। भविष्य की चिंता और अतीत के बोझ में उलझकर हम वर्तमान की संपदा को खो देते हैं। यह भजन मन को रोककर सोचने पर मजबूर करता है—
क्या हम वास्तव में जी रहे हैं, या केवल वक्त के साथ बह रहे हैं?
इस भजन की विशेषताएँ
✨ जीवन की अस्थिरता का गूढ़ बोध
✨ निराकार परम तत्व की अनुभूति
✨ अंतर्मुखी और शांतिपूर्ण वातावरण
✨ मोह, भ्रम और व्यर्थ अभिमान से मुक्ति
✨ वर्तमान क्षण को प्रभु-सुमिरन से सार्थक करने का संदेश
सुनिए, महसूस कीजिए, और आत्मा को उस शांति से भर लेने दीजिए,
जो शब्दों से नहीं — अनुभूति से प्रकट होती है।
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भजन नहीं, यह एक जागृति है। 🙏
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