श्री कैवाय माता - किनसरिया ग्राम (परबतसर) || मन्दिर की संपूर्ण जानकारी
Автор: Rj Yatra
Загружено: 2023-03-31
Просмотров: 14803
केवाय माता, किनसरिया का गौरवशाली इतिहास
राजस्थान के नागौर जिले की परबतसर तहसील में स्थित किनसरिया गाँव अरावली की सुरम्य पहाड़ियों के बीच बसा है। यहीं एक ऊँची पहाड़ी की चोटी पर केवाय माता का अति प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जो सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है। इस मंदिर का इतिहास अत्यंत गौरवशाली और प्राचीन है, जो हमें सीधे चौहान और दहिया राजवंशों के काल में ले जाता है।
मंदिर की स्थापना और प्राचीनता
मंदिर में मिले शिलालेखों और ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार, केवाय माता मंदिर की स्थापना दहिया वंश के शासक राणा चच्चदेव ने विक्रम संवत् 1056 (सन् 999 ईस्वी) में करवाई थी। मंदिर के सभामंडप की बाहरी दीवार पर आज भी विक्रम संवत् 1056 का शिलालेख उत्कीर्ण है, जो इसकी प्राचीनता का पुख्ता प्रमाण है। माना जाता है कि चौहान वंश के शासकों ने इस स्थान पर केवाय माता की प्रतिमा स्थापित की थी, जिसके बाद राणा चच्चदेव दहिया ने यहाँ भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
यह मंदिर लगभग 1000 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और यहाँ तक पहुँचने के लिए 1100 से अधिक सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। यह दुर्गम चढ़ाई भी भक्तों की आस्था को डिगा नहीं पाती और वे बड़ी संख्या में माता के दर्शनों के लिए यहाँ आते हैं।
ऐतिहासिक महत्व और शिलालेख
केवाय माता मंदिर का ऐतिहासिक महत्व केवल इसकी प्राचीनता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह उस काल के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्यों पर भी प्रकाश डालता है। मंदिर परिसर में कई अन्य महत्वपूर्ण शिलालेख भी मिले हैं। इनमें से एक प्रमुख शिलालेख विक्रम संवत् 1300 (सन् 1243 ईस्वी) का है, जिसमें राणा कीर्तिसिंह के पुत्र राणा विक्रम और उनकी रानी नाइलदेवी के स्वर्ग सिधारने का उल्लेख है। उनके पुत्र जगधर ने अपने माता-पिता की स्मृति में एक स्मारक का निर्माण करवाया था।
जोधपुर महाराजा का योगदान
बाद के समय में भी मंदिर का महत्व बना रहा। सन् 1712 ईस्वी में जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह ने यहाँ माँ भवानी की एक मूर्ति प्रतिष्ठित करवाई, जो केवाय माता की प्रतिमा के वाम पार्श्व में स्थित है। यह इस बात का प्रमाण है कि यह स्थान राजपूताना के विभिन्न राजवंशों के लिए श्रद्धा का केंद्र था।
कुलदेवी के रूप में मान्यता
केवाय माता को मुख्य रूप से दहिया राजवंश की कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। इसके अतिरिक्त चौहान और अन्य कई क्षत्रिय वंशों के लोग भी इन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं। आज यह मंदिर न केवल इन राजवंशों के वंशजों, बल्कि सभी जाति-समुदायों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। नवरात्रि, विवाह और अन्य शुभ अवसरों पर यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है और वे माता से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
संक्षेप में, किनसरिया स्थित केवाय माता का मंदिर केवल एक पूजा स्थल ही नहीं, बल्कि एक हजार वर्षों से भी अधिक पुराने इतिहास का जीवंत साक्षी है, जो अपने शिलालेखों और वास्तुकला में एक समृद्ध विरासत को संजोए हुए है।
---------------------------------------------------------
If you like this video
Please subscribe channel and share this video
subscribe ❤️
--------------------------------
#jaimatadi 🙏 #matarani #navratrispecialsong2026 #matakebhajan2026 🎶 #DurgaMaa #VaishnoDevi #Sherawali 🦁 #bhaktisong2025 #maadurga #devotionalsongs2025
#Kinsariya #DahiyaKuldevi #RajasthanTemples #Kuldevi #KinsariyaDham #KevayMata #KewayMataKinsariya #rajathan #parbatsar #1151stairstemple #VaishnoDevibhajan #rimixnavratrasongs #matabhajan
#TSeriesBhaktiSagar #lakhbirsinghlakkha #navratrisong2025 #navratribhajan2025 #navaratri #gulshankumar2025 #devotionalsongsvideo2025 #devotionalvideo2025 #bhaktisongshorts2025 #bhaktibhajan2025 #religious #spiritual
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: