🕉️ जो तोकूं काँटा बुवै | Kabir Bhajan | क्षमा | Kabir Das Ke Dohe | Kabir Das Bhajan 2025
Автор: kabir Das Bhajan
Загружено: 2025-12-16
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🕉️ जो तोकूं काँटा बुवै | Kabir Bhajan | क्षमा | Kabir Das Ke Dohe 🕉️
🙏 संत कबीर दास जी का यह अमूल्य दोहा “जो तोकूं काँटा बुवै” क्षमा, सहनशीलता और आत्मिक शांति का गहरा संदेश देता है। कबीर जी कहते हैं कि जो व्यक्ति तुम्हारे लिए काँटे बोता है — यानी तुम्हें दुख पहुँचाता है — उसके लिए भी तुम फूल बोओ। यही सच्ची भक्ति और आत्मज्ञान का मार्ग है।
🎶 *मुख्य दोहा:*
_"जो तोकूं काँटा बुवै, ताहि बोय तू फूल।
तोहे फूल के फूल हैं, ताहि लागे शूल॥"_
📖 *भावार्थ:*
कबीर जी इस दोहे में क्षमा और करुणा का संदेश देते हैं। वे कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति तुम्हारे लिए काँटे बोता है — यानी तुम्हें कष्ट देता है — तो तुम उसके लिए फूल बोओ। तुम्हारे कर्म तुम्हें सुख देंगे, और उसके कर्म उसे दुख। यह दोहा हमें सिखाता है कि बदले की भावना नहीं, बल्कि क्षमा और प्रेम से जीवन को जीना चाहिए।
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🌟 इस भजन में क्या है विशेष?
क्षमा और सहनशीलता का संदेश
आत्मिक शांति और भक्ति का मार्ग
कबीर जी के गूढ़ विचारों का सरल रूप
जीवन में प्रेम और करुणा की प्रेरणा
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🔔 क्यों सुनें यह भजन?
मन की अशांति को दूर करने के लिए
क्षमा और करुणा को जीवन में अपनाने के लिए
कबीर जी के अमूल्य वचनों से प्रेरणा लेने के लिए
भक्ति और आत्मज्ञान की ओर बढ़ने के लिए
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🌼 कबीर दास जी के अन्य प्रेरणादायक दोहे
_"बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।"_
_"माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।"_
_"साँई इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय।"_
🙏 इस भजन को सुनें, आत्मा को शांति दें और कबीर जी के वचनों को अपने जीवन में उतारें।
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🌟 “जो तोकूं काँटा बुवै” केवल एक दोहा नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन है — जो हमें सिखाता है कि प्रेम और क्षमा से ही सच्चा सुख और
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