क्यों भगवान कृष्ण तुला पर भी हल्के पड़े? नारद जी की अद्भुत लीला | Tuladaan Story
Автор: Sanatan Katha Ghar
Загружено: 2025-12-05
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नारद जी, तुलसी पत्ता और तुलादान की अद्भुत कथा
इस वीडियो में हम सुनेंगे वो अनोखी लीला – जब देवर्षि नारद ने भगवान कृष्ण से महल माँगा, रुक्मिणी जी ने भगवान का दान कर दिया, और अंत में तुलसी के एक पत्ते ने पूरा तुलादान बदल कर रख दिया।
यह कथा दिखाती है कि –
केवल सोना, हीरा, पन्ना नहीं,
बल्कि सच्चे भक्ति भाव से चढ़ाया गया तुलसी का एक पत्ता भी
पूरे ब्रह्मांड के भगवान को तौल सकता है। 💚
इस कहानी में आप देखेंगे –
नारद जी का महल पाने का मोह
द्वारिका के १६१०८ महलों में जगह न मिलना
रुक्मिणी जी का भोला दान – “अगले जन्म में भी भगवान मिलें”
भगवान का संन्यासी रूप, भस्म लगाकर कमंडलु लेकर चल देना
सभी रानियों का रोना–धोना, बहस और तुलादान का निर्णय
सोना–हीरा–पन्ने से भी तुला न भर पाना
और अंत में – तुलसी के एक पत्ते से तुला का संतुलित हो जाना
नारद जी की सच्ची प्रार्थना और भगवान से मुक्ति का वरदान
अगर आपको
Sanatan हिन्दू कथाएँ, कृष्ण लीला, नारद जी की कहानियाँ,
बच्चों को सुनाने लायक भक्ति कहानियाँ
सुनना पसंद है, तो ये वीडियो आपके लिए है। 🌺
📌 क्या सीख मिलती है?
असली ताकत भक्ति की है, धन की नहीं
भगवान के सामने निष्काम प्रेम ही सबसे बड़ा दान है
केवल “महल, ठाठ, शोहरत” के पीछे भागने वाला भी
अंत में भगवान के धाम की ही प्रार्थना करता है
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