बुलाक पहनना पड़ गया भारी ||😭😳|| इतना दर्द || PART-2 finally lg gya ||♥️🤭||
Автор: @KrishnaBisht
Загружено: 2025-06-14
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PART 2
गढ़वाली संस्कृति में 'बुलाक' एक पारंपरिक आभूषण है जो नाक में पहना जाता है। यह अब विलुप्त होने की कगार पर है, लेकिन कुछ लोगों ने इसे फिर से लोकप्रिय बनाने की कोशिश की है. यह आभूषण आमतौर पर सोने या चांदी से बनाया जाता है और इसे पहनने से महिलाओं को एक विशिष्ट सौंदर्य मिलता है.
विस्तार से:
बुलाक का अर्थ:
'बुलाक' गढ़वाली भाषा में नाक में पहना जाने वाले आभूषण को कहते हैं। यह आभूषण आमतौर पर सोने या चांदी से बनाया जाता है और इसे पहनने से महिलाओं को एक विशिष्ट सौंदर्य मिलता है.
विलुप्त होने की कगार पर:
कुछ क्षेत्रों में 'बुलाक' को अब कम ही देखा जाता है, क्योंकि आधुनिक आभूषणों के आने से इसकी लोकप्रियता कम हो गई है.
पुनर्जीवित करने के प्रयास:
कुछ लोग 'बुलाक' को फिर से लोकप्रिय बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कि उत्तराखंड परिधान स्टोर पर अब 'बुलाक' उपलब्ध है, Instagram के अनुसार.
गढ़वाली संस्कृति में महत्व:
'बुलाक' गढ़वाली संस्कृति में एक महत्वपूर्ण आभूषण है और इसे पहनने से महिलाओं को एक विशेष रूप मिलता है.
अन्य आभूषण:
गढ़वाली संस्कृति में अन्य पारंपरिक आभूषण भी हैं, जैसे कि हंसुली, धगुलि, और झुमकी.
आभूषणों का महत्व:
गढ़वाली संस्कृति में आभूषणों का विशेष महत्व है और वे महिलाओं की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
पारंपरिक परिधान:
उत्तराखंड में महिलाओं का पारंपरिक परिधान घाघरा और आंगड़ी है, जबकि पुरुषों का पारंपरिक परिधान धोती, कुर्ता और चूड़ीदार पैजामा है.
आभूषणों के साथ परिधान:
पारंपरिक परिधानों के साथ आभूषणों को पहनने से महिलाओं का रूप और भी सुंदर और आकर्षक हो जाता है.
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